हथियार खरीदने में भारत बना दूसरा बड़ा देश
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नोटबंदी के बाद से कई लोग ये कयास लगा रहे थे कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा लेकिन अलग-अलग चीज़ों पर आ रही रिपोर्ट से लगातार साफ हो रहा है कि भारत पीछे नहीं बल्कि लगातार आगे बढ़ रहा है। कुछ दिनों पहले ही फोर्ब्स ने विश्व के सबसे बड़ी जीडीपी वाले देशों की लिस्ट जारी की थी जिसमें भारत ने पांचवा स्थान हासिल किया है।
भारत की जीडीपी पहले छठवे स्थान पर थी जिसमें भारत ने ब्रिटेन को एक स्थान पीछे कर दिया था। इसके बाद भारत ने एक ओर कामयाबी पाई है। सीआरएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत दूसरा देश बन गया है जो हथियारों की खरीद करता है। इस रिपोर्ट में पहले नंबर पर सऊदी अरब है तथा दूसरे नंबर पर भारत है।
भारत अपनी सेनाओं का आधुनिकरण करने की योजना पर काम कर रहा है और इस बीच ही एक रिपोर्ट आई है जिसमें भारत को हथियार खरीदने के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश बताया गया है। भारत का नंबर हथियार खरीद में सऊदी अरब के बाद दूसरा है। अमेरिकी कांग्रेस की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की ओर से रिलीज की गई ’कंवेंशनल आर्म्स ट्रांसफर्स टू डेवलपिंग नेशंस-2008-2015’ रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
सुरक्षा में नहीं छोड़ेगा भारत कोई कसर
इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008 से 2015 तक भारत ने 34 बिलियन डॉलर की रकम से हथियार खरीदे। भारत से पहले रिपोर्ट में सऊदी अरब का नाम है और उसने 93.5 बिलियन डॉलर की रकम हथियारों की खरीद पर खर्च की। सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र शाखा है। यह अमेरिकी सांसदों के लिए कई अहम मुद्दो पर रिपोर्ट तैयार करने का काम करती है ताकि वह बेहतर फैसले ले सकें। हालांकि सीआरएस की ओर से तैयार रिपोर्ट्स को अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ’विकासशील देशों में सऊदी अरब वह पहला देश है जिसने वर्ष 2008 से 2015 तक सबसे ज्यादा हथियार खरीदें। सऊदी अरब ने 93.5 बिलियन डॉलर के समझौतों की मदद से इन हथियारों को खरीदा। भारत इन्हीं वर्षों में हथियारों की खरीद में दूसरे नंबर पर रहा। भारत ने वर्ष 2008-2015 तक 34 बिलियन डॉलर के समझौतों को साइन किया।’
इनसे खरीदे हथियार
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिहाज से यह बात ध्यान देने वाली है कि रूस उसके लिए अहम ग्राहक रहा है। हालिया वर्षों में भारत ने हथियार खरीद के लिए फ्रांस और इजरायल का रुख भी किया। वर्ष 2004 में भारत ने इजरायल से फाल्कन अर्ली वॉर्निंग डिफेंस सिस्टम एयरक्राफ्ट खरीदे तो वर्ष 2005 में फ्रांस से भी कई तरह के डिफेंस प्रॉडक्ट्स खरीदे।
इन सबमें खास थी छह स्कॉर्पियन डीजल अटैक पनडुब्बियां। वर्ष 2008 में अमेरिका से भारत ने छह सी-139जे हरक्यूलिस कार्गो एयरक्राफ्ट खरीदे। वर्ष 2010 में यूनाइटेड किंगडम से 57 हॉक जेट ट्रेनर्स खरीदे जिनकी कीमत करीब एक बिलियन डॉलर थी। वर्ष 2010 में इटली ने भारत को 12 एडब्लूय101 हेलीकॉप्टर्स बेचे।
रूस और भारत के संबंधों का भी जिक्र
वर्ष 2011 में फ्रांस ने भरत के साथ 2.4 बिलियन का कांट्रैक्ट किया जिसके तहत भारत इंडियन एयरफोर्स में प्रयोग हो रहे 51 मिराज-2000 फाइटर जेट्स को अपग्रेड करना चाहता था। इसी वर्ष अमेरिका ने भारत को 4.1 बिलियन डॉलर की कीमत पर 10 सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट बेचने पर हामी भरी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह से भारत ने हथियार खरीदे उससे साफ होता है कि भारतीय बाजार में अपने हथियारों को बेचने के लिए रूस को दूसरे देशों से कड़ी प्रतिद्वंदिता झेलनी पड़ेगी। वर्ष 2011 में भारत ने रूस को नई पीढ़ी के फाइटर जेट की खरीद के लिए रूस की जगह फ्रांस का तरजीह दी। वर्ष 2015 में भारत और रूस के बीच एक कांट्रैक्ट साइन हुआ जिसके तहत भारत रूस से हेलीकॉप्टर्स खरीदेगा।