Wednesday, September 13th, 2017 15:16:31
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कुछ इस तरह मिले थे अमिताभ के मां-बाप, कविता गाते-गाते भर आया था गला




कुछ इस तरह मिले थे अमिताभ के मां-बाप, कविता गाते-गाते भर आया था गलाEntertainment

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बॉलीवुड में अगर महानायक की बात करें तो सीधे अमिताभ बच्चन का नाम ही याद आता है। अपने बेहतरीन अभिनय से उन्होंने जो छाप छोड़ी है वो कोई और नहीं कर सकता। अमिताभ के पिता हरिवंशराय बच्चन को भी सभी जानते हैं लेकिन बात अगर उनकी माताजी की करें जिन्होंने हमें इतना बड़ा महानायक दिया उन्हें कितने लोग जानते हैं तो शायद कम ही लोग इस बारे में बता पाए।

अमिताभ बच्चन की माताजी का नाम तेजी बच्चन था। तेजी बच्चन शादी से पहले तेजी सूरी हुआ करती थी। तेजी काफी खूबसूरत और आर्कषक व्यक्तित्व वाली महिला थी। तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त 1914 को फैसलाबाद, पाकिस्तान में हुआ था। तेजी बच्चन की मुलाक़ात उस समय हरिवंश राय बच्चन से हुई जब वे कॉलेज में साइकोलॉजी की टीचर हुआ करती थी।

उन दिनों हरिवंशराय बच्चन भी अलाहबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हुआ करते थे। हरिवंशराय बच्चन की पहली पत्नि गुजर चुकी थी और हरिवंशराय इस बात से काफी विचलित थे। उन्हें कविता लिखने का काफी शौक था एक दिन जब वे अपने दोस्त प्रकाश के घर बरेली पहुंचे तो वहां उनकी मुलाक़ात तेजी सूरी से हुई और यहीं से उनकी लवस्टोरी शुरू हो गई।

हरिवंशराय बच्चन उस समय के फेमस कवि थे तो वहां भी सभी ने आग्रह किया कि आप अपनी कविता का पाठ करें। हरिवंशराय ने वादा किया कि वो एक-दो कविता ही सुनाएंगे। फिर इसके बाद उन्होंने कविता का पाठ करना शुरू किया। जब उन्होंने कविता का पाठ शुरू किया तो वे उसमें इतना डूब गए कि उनका गला वेदना से भर गया। वो कविता थी।

क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूं?
मैं दुखी जब-जब हुआ
संवेदना तुमने दिखाई,
मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा,
रीति दोनों ने निभाई,
किंतु इस आभार का अब
हो उठा है बोझ भारी,
क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूं?
एक भी उच्छ्वास मेरा
हो सका किस दिन तुम्हारा?
उस नयन से बह सकी कब
इस नयन की अश्रु-धारा?
सत्य को मूंदे रहेगी
शब्द की कब तक पिटारी?
क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी?
क्या करूं?

बस यही वो कविता थी जो तेजी को हरिवंशराय बच्चन की ओर आकर्षित कर गई। साल 1941 में इन दोनों ने विवाह कर लिया। विवाह के बाद तेजी को दो पुत्र हुए। जिसमें एक अमिताभ दूसरे अजिताभ थे। अमिताभ अपने परिवार के बड़े बेटे हैं। साल 1950 के दशक में दिल्ली प्रवास के समय बच्चन दंपति के नेहरू-गांधी परिवार से भी अच्छे संबंध बने।

शादी के बाद तेजी बच्चन का अधिक समय घर-बार में ही निकल जाता था लेकिन इसके साथ-साथ वो सोशल वर्क भी किया करती थीं। तेजी बच्चन को साल 1973 में फिल्म फाइनेंस कॉर्पोरेशन का डायरेक्टर भी चुना गया। साल 2007 में उनकी तबीयत काफी खराब थी। इसी साल के 21 दिसंबर को 93 साल की उम्र में उनका स्वर्गवास हो गया।

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