स्टार्ट अप में निवेश के तरीके अनेक
टेक्रॉलजी ने स्टार्ट अप को बहुत आसान बना दिया है. अगर आपके पास एक नया विचार है तो आप अपना स्टार्ट अप शुरू कर सकते हैं. लेकिन विचार के अलावा किसी भी कारोबार को खड़ा करने के लिए फंडिंग भी उतनी ही आवश्यकता है. आने वाले कुछ हफ्तों तक हम जानेंगे स्टार्ट अप की फाइनैंसिंग या उनके लिए फंड जुटाने के कुछ तरीकों के बारे में. उनमें से पहला तरीका है क्राउड फंडिंग.
पहला तरीका क्राउड फंडिंग:
क्राउड फंडिंग बहुत बड़ी संख्या में लोगों से थोड़ी-थोड़ी राशि के रूप में ली गई राशि है. यह राशि या तो लौटाने के वादे के साथ ली जाती है या यूंही अनुदान के रूप में. अब से कुछ समय पहले तक किसी भी प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए बड़े इन्वेस्टर की तलाश की जाती थी लेकिन इंटरनेट के आगमन ने क्राउडफंडिंग को आसान जरिया बना दिया. दरअसल इंटरनेट और सोशल मीडिया फोरम के जरिये क्राउड फंडिंग की मांग बहुत कम समय में लाखों लोगों तक पहुंच जाती है. आप अपना विचार मोटे तौर पर उनसे साझा कर सकते हैं. अगर उनको वह पसंद आया तो लोग आपके अकाउंट में पैसे डाल सकते हैं.
क्राउड फंडिंग के तरीकों के बारे में विस्तार से जानने के पहले जरा उसका इतिहास जान लें:
माना जाता है कि पहली क्राउडफंडिंग सन 1997 में हुई थी. रॉकबैंड मरीलियन को एक टूर पर अमेरिका जाना था लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे. उनके अमेरिकी फैंस ने ऑनलाइन मदद के जरिये उन तक 60,000 डॉलर की राशि पहुंचाई. इसके बाद बैंड ने इस तरके को अपनाया और भविष्य के अपने कई एलबम फंड जुटाकर निकाले. बदले में वे फंड करने वालों को अपने हस्ताक्षरित एलबम, कंसर्ट के टिकट आदि दिया करते थे. फिलहाल दुनिया भर में क्राउडफंडिंग के 500 से अधिक सोर्स हैं जिनमें से अधिकतर ऑनलाइन हैं.
कैसे करें शुरुआत?
क्राउड फंडिंग के लिए कई वेबसाइट हैं. इच्छुक व्यक्ति या उद्यमी वहां जाकर अपनी एक प्रोफाइल बना सकता है. इसके अलावा वह अपने दोस्तों के नेटवर्क, परिवार, सोशल नेटवर्क आदि की मदद भी ले सकता है. उस व्यक्ति को यह बताना होता है कि वह यह फंडिंग क्यों मांग रहा है और लोगों को उसकी मदद क्यों करनी चाहिए?
क्राउड फंडिंग के मुख्य रूप से तीन प्रकार हैंङ
(अ) दान या पुरस्कार क्राउड फंडिंग
इस तरह की क्राउड फंडिंग में लोग इसलिए धन लगाते हैं क्योंकि उनको भरोसा होता है कि सामने वाला व्यक्ति एक नेक काम के लिए यह धन राशि ले रहा है. इस तरह की फंडिंग में फंड रेज करने वाला व्यक्ति किसी तरह के रिवार्ड का वादा कर सकता है. उदाहरण के लिए अगर वह अपना म्यूजिक एलबम निकालने के लिए फंड ले रहा है तो वह उसके निकलने के बाद उसकी एक एक कॉपी फंड करने वालों को दे सकता है. या फिर वह फ्री गिफ्ट उन्हें भेज सकता है. लेकिन ऐसा हर हाल में जरूरी नहीं है. क्योंकि उसे पैसा इसलिए नहीं दिया जाता. वह इसलिए दिया जाता है क्योंकि लोगों को उस काम की नेक नीयत पर भरोसा होता है.
(ब) डेट क्राउडफंडिग (ऋण के रूप में क्राउड फंडिंग)
इसमें निवेशकों को उनका पैसा ब्याज सहित वापस मिलता है. यहां पर फंडिंग बैंकिंग सिस्टम से अलग होती है लेकिन रिटर्न पूरी तरह फाइनैंशियल होते हैं. लेकिन यहां भी निवेशक को उस काम को सफल बनाने में मददगार ही माना जाता है. क्योंकि कोई भी बैंक केवल किसी नए विचार को स्टार्ट अप के रूप में मान्यता नहीं देता. वह उसका पूरा बैकग्राउंड और बुनियादी ढांचा देखना चाहता है. जबकि डेट इन्वेस्टर बातों पर भरोसा करके पैसा दे सकते हैं जो एक समय के बाद उनको ब्याज सहित लौटाना होता है.
(स) इक्विटी क्राउडफंडिंग (हिस्सेदारी के रूप में क्राउडफंडिंग)
कई लोग शेयर या हिस्सेदारी के बदले भी आर्थिक मदद देते हैं. इसे इक्विटी क्राउडफंडिंग कहा जाता है. यह हिस्सेदारी धनरशि के समान ही बहुत मामूली हो सकती है. अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो हिस्सेदारी की कीमत भी बढ़ती है वरना पैसा डूब जाता है. निवेशक को दोनों ही स्थितियों के लिए तैयार रहना पड़ता है.
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