हर लड़की के भीतर एक कंदील बलोच है
कंदील बलोच की हत्या एक आजाद ख्याल स्त्री और जेंडर इक्वैलिटी के विचार की भी हत्या है। उसके बूढ़े पिता जार जार रोकर कहते हैं कि वो मेरा बेटा थी
एक आजाद ख्याल लड़की जो अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। जिसे कथित सामाजिक रस्मो रिवाज की परवाह नहीं। जो 21वीं सदी की एक आधुनिक लड़की है। वह कोई भी हो सकती है। भारत में वह पूनम पांडेय हो सकती है। पाकिस्तान में वह कंदील बलोच थी।
कंदील बलोच पाकिस्तान की सोशल मीडिया सेलिब्रिटी थी। उसके फेसबुक पेज पर लाखों फॉलोअर्स थे। वह पाकिस्तान की यंग जनरेशन को बहुत अपील करती थी। वह कम कपड़े पहनती थी। वह ढोंग ढकोसलों पर टिप्पणी करती थी और इतनी अनप्रिडिक्टिबल थी कि मौलाना की टोपी अपने सर पर रखकर सेल्फी ले सकती थी। यह सब करने की वजह चाहे जो भी हो लेकिन अनचाहे और अनजाने ही सही वह पाकिस्तान में फेमिनिस्ट आइकन बन गयी थी। हो सकता है बलोच की कुछ बातें और वीडियो पाकिस्तान के पारंपरिक समाज के लिहाज से भड़काऊं लगें लेकिन उसके पास अटेंशन पाने का यही एक जरिया था। अगर आपने कंदील बलोच के पेज को फॉलो किया हो तो उसके मरने के बाद उसकी मुल्तान की पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखकर आपको झटका लग सकता है।
हर किसी ने उसे अपने हिसाब से आंका। कुछ के लिए वह मनोरंजन थी। कुछ के लिए एक बहकी हुई लड़की। लेकिन उसके अपने भाई ने ही उसे जान से मार दिया। कंदील की निडरता ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन बनी। उस पर हमला वहां हुआ जहां शायद वह सबसे अधिक सुरक्षित महसूस कर रही थी। मरने के कुछ ही दिन पहले वह इस्लामाबाद छोड़कर अपने घर गई थी। उसने पाकिस्तान सरकार को खत लिखकर अपनी सुरक्षा की मांग भी की थी।
कंदील बलोच इस तरह मरने वाली इकलौती लड़की नहीं थी। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में हर साल परिवार के कथित सम्मान और उसकी नाक की रक्षा के लिए ऐसे ही हजारों लड़कियों को जान से मार दिया जाता है। लेकिन कंदील बलोच का मरना अलग है। यह उगते सितारे की हत्या है जिसे अभी भरपूर चमकना था। यह बात साबित होती है कंदील के पिता के बयान से। जो उसके मरने के बाद जार-जार रोते हुए मीडिया से कहते हैं कि वह मेरा बेटा थी। उसने मेरे पूरे परिवार की मदद की। यहां तक कि उस बेटे की भी जिसने उसे जान से मार डाला। जाहिर है यह हत्या लैंगिक समानता के विचार की भी हत्या है।
सुप्रसिद्ध लेखिका मैत्रेयी पुष्पा कहती हैं कि अपने परिवार की राय के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली हर लड़की के मारे जाने का खतरा है। हम ऐसे ही बंद समाज में जी रहे हैं। वह कहती हैं कि कंदील बलोचों को जीने दो। वो तुम्हारे मारने से खत्म नहीं होंगी। क्योंकि हर औरत अपने मन के भीतर कंदील बलोच होती है यानी अपनी मर्जी की मालिक। आप शरीर की हत्या कर सकते हैं आप उसके मन को नहीं मार सकते।
मैत्रेयी पुष्पा की बात सही है क्योंकि कंदील बलोच के मरने के बाद उनके बारे में पहले से ज्यादा चर्चा हो रही है। लोग खुलकर उनके पक्ष में अपनी राय रख रहे हैं। यहां तक कि उनके जनाजे में लोगों की मौजूदगी देखकर भी नहीं लगा कि लोग उनसे नफरत करते थे।
मददगार कानून
मानवाधिकार कर्मियों के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में हर वर्ष 1000 से अधिक महिलाएं ऑनर किलिंग की शिकार हो जाती हैं। उनके लिए रोने वाला कोई नहीं है। पाकिस्तान में एक पुरातनपंथी कानून भी उनकी मदद करता है। इस कानून के मुताबिक ऑनर किलिंग के मामले में अगर परिवार के अन्य सदस्य चाहें तो हत्यारे के लिए अदालत से माफी ले सकते हैं। बहरहाल कंदील बलोच की हत्या के बाद आई जागरूकता ने कुछ बेहतरी इस दिशा में भी की है। पंजाब सरकार ने अपने यहां इस कानून को निरस्त कर दिया है। यानी कंदील बलोच का हत्यारा भाई अब यूंही बचकर नहीं जा पाएगा। उसे अपने किए की सजा भुगतनी होगी।
पंजाब ने शुरुआत कर दी है। अब वक्त आ गया है कि पूरा पाकिस्तान ऑनर किलिंग के मुद्दे पर तीखी बहस करे। समाज माने न माने कानून को तो अपना काम करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो घरों में बेटियां यूं ही जिबह की जाती रहेंगी। अकेले 2015 में ही पाकिस्तान में 1100 महिलाएं ऑनर किलिंग की शिकार हुईं। ध्यान रखिए यह वह आंकड़ा है जो रिपोर्ट हुआ। यानी वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना अधिक हो सकता है। पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग के मुताबिक वर्ष 2014 में 1000, 2013 में 869, 2012 में 432 और 2011 में 705 पाकिस्तानी महिलाओं को इज्जत के नाम पर कुर्बान कर दिया गया। इनमें से कई मामले तो ऐसे थे जिनमें हत्या करने के पहले इन लड़कियों के साथ घर के पुरुषों ने ही बलात्कार किया।
जाहिर है यह मामला केवल ऑनर किलिंग का है ही नहीं। यह महिलाओं के शरीर पर पुरुषों के मालिकाना हक, और उनकी यौन कुंठा की समस्या अधिक है। एक खुला समाज, ढेर सारी आजाद ख्याल लड़कियां और ढेर सारी लिबरल किताबें ही इस बीमारी का इलाज हैं।