स्टार्ट अप से मोहभंग के दौर में खुशखबरी
केंद्र सरकार की इन्क्यूबेशन योजना सामने आने के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में इन्क्यूबेशन सेंटर सामने आ रहे हैं। ये स्टार्ट अप कारोबारियों को हर संभव मदद मुहैया करायेंगे। प्रदेश सरकार तो इस दिशा में गंभीर है ही, निजी क्षेत्र भी नित नयी पहल कर रहा है।
नीति आयोग ने देश में स्टार्ट अप को मदद पहुंचाने के लिये अटल इन्क्यूबेशन सेंटर की योजना पेश की है। इस योजना के तहत वेब स्टार्ट अप तथा अन्य प्रोडक्ट बेस्ड स्टार्ट अप को न केवल ऋण मुहैया कराया जायेगा बल्कि उनको अपने स्टार्ट अप को सेट करने के लिए अन्य जरूरी सुविधायें भी मुहैया करायी जायेंगी। सरकार ने इस दिशा में काफी अरसा पहले ही पहल आरंभ कर दी है लेकिन अब निजी क्षेत्र भी ऐसी फंडिंग मुहैया कराने लगा है।
ऐसा ही अनुभव रखने वाले एक युवा स्टार्ट अप उद्यमी परीक्षित शर्मा कहते हैं कि जब उन्होंने अपनी जमी जमाई नौकरी छोडक़र स्टार्ट अप बाजार में कदम रखने की सोची तो उनके भीतर बहुत उत्साह था। लेकिन एक के बाद एक सरकारी बैंकों के चक्कर काटते हुए उनको अपने आइडिया पर पुनर्विचार के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी। तमाम ऑनलाइन इन्वेस्टरों और क्राउड फंडिंग के प्रयासों के बाद आखिरकार उन्होंने फ्रैंड्स फंडिंग की मदद से अपना कारोबार शुरू किया।
फ्रैंड्स फंडिंग स्टार्ट अप की दुनिया में एक नया कॉन्सेप्ट है जिसमें आपके मित्र आपके आइडिया में इन्वेस्ट करते हैं। इस इन्वेस्टमेंट के रिटर्न की बात पूरी तरह आपसी समझ पर निर्भर करती है। इसे क्राउड फंडिंग का एक मॉडल भी मान सकते हैं।
देश भर में स्टार्ट अप्स को लेकर शुरुआती उत्साह कम होने के अब सरकार इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से इन्हें गति देने पर विचार कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार आगामी अक्टूबर माह में एमएसएमई समिट करने जा रही है जिसमें इन्क्यूबेशन सेंटर पर भी चर्च की जायेगी। इस बीच मध्य प्रदेश में इन्हें बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के इन्क्यूबेशन सेंटर सामने आ रहे हैं। ये न केवल स्टार्ट अप्स को नीतिगत मदद करेंगे बल्कि उन्हें निवेश भी मुहैया कराएंगे।
देश भर में ऑनलाइन और उत्पाद आधारित स्टार्ट अप तेजी से सामने आये हैं लेकिन इन्हें निवेश की कमी और प्रक्रियागत बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने अटल इन्क्यूबेशन सेंटर की अवधारणा पेश की है।
इसी अवधारणा पर काम करते हुए मध्य प्रदेश में निजी क्षेत्र इन्क्यूबेशन सेंटर लेकर सामने आ रहा है। ऐसा ही एक इन्क्यूबेशन सेंटर राजधानी भोपाल में भी शुरू हुआ है। इसकी शुरुआत एक स्टार्ट अप के रूप में कुछ युवाओं ने की है। एसडॉटपेस नामक इस उद्यम के मुख्य कार्याधिकारी तैतिल सिंह ने बताया, ‘स्टार्ट अप्स अपने प्रोडक्ट और आइडिया के साथ हमसे संपर्क कर रहे हैं। कई बड़े निवेशक हमसे संपर्क में हैं और आइडिया पसंद आने पर उसे निवेशकों से मिलाया जाता है। इन स्टार्ट अप्स को न्यूनतम 20 लाख रुपये की सीड फंडिंग मुहैया कराई जाती है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।’
यह उद्यम यह न केवल स्टार्ट अप्स को निवेश मुहैया करा रहा है बल्कि उनकी ब्रांडिंग, कारोबारी नीति निर्माण और कारोबारी विश्लेषण की सुविधा भी दे रहा है। यहां विभिन्न स्टार्ट अप्स को एक साथ काम करने के लिए को-वर्किंग स्पेस भी मुहैया कराया जा रहा है। को स्पेस की जानकारी के मुताबिक 16स्टार्ट अप उनसे संपर्क कर चुके हैं।
तैतिल कहते हैं कि स्टार्ट अप का चयन उनके उत्पाद की सफलता की संभावना के आधार पर किया जाता है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है। निवेश मिलने के बाद संबंधित स्टार्ट अप को पीआर, ब्रांडिंग, बिजनेस मॉडल तैयार करने संबंधी सभी सुविधाएं निशुल्क दी जाती हैं। शुल्क के बजाय कंपनी को उनमें हिस्सेदारी दी जाती है।
सरकारी क्षेत्र की जटिल कार्य प्रक्रिया के उलट नये उद्यमियों और निवेशकों के लिए यह एक आसान मंच होगा। यह प्रदेश का पहला ऐसा केंद्र है जहांविभिन्न स्टार्ट अप, निवेशक और अन्य युवा उद्यमी एक साथ मिलकर काम करेंगे। इससे रोजगार के साथ कौशल विकास में भी मदद मिलेगी।
इन्क्यूबेशन सेंटर के अलावा एसडॉटपेस प्रदेश में पहला को-वर्किंग स्पेस भी लेकर आ रहा है। शहर के बीचोंबीच एक कमर्शियल जगह पर कुछेक केबिन समेत करीब 16 वर्क स्पेस बनाए गये हैं। यहां काम करने वालों को फ्री वाई-फाई, रिसेप्शन, कांफ्रेंस हॉल, बिजली और चाय-कॉफी आदि मुहैया कराए जाते हैं। इनमें सबसे महंगे केबिन का मासिक किराया 25,000 रुपये जबकि एक वर्क सीट का मासिक किराया 4,000 रुपये है। छिटपुट इस्तेमाल के लिए 450 रुपये प्रति घंटे किराए पर भी वर्क स्टेशन उपलब्ध हैं।
माना जा रहा है कि इससे प्रदेश में स्टार्ट अप को लेकर नये सिरे से माहौल बनेगा. इस उद्यम की सफलता या विफलता प्रदेश में युवा उद्यमियों के उत्साह पर सकारात्मक या नकारात्मक असर डालेगी. चाहे जो भी हो लेकिन निजी क्षेत्र का स्टार्ट अप निवेश में यूं संगठित प्रवेश सकारात्मक बात मानी जा सकती है।