एक कहानी : इनकम टैक्स की रेड शर्मा जी के यहां (पार्ट-3)
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एक कहानी : इनकम टैक्स की रेड… (पार्ट-1)
एक कहानी : इनकम टैक्स की रेड… (पार्ट-2)
सरला जी दरवाजा खोलती है तो देखती है, दरवाजे पर तीन-चार आदमी खड़े हैं। उनमें से एक जो उनका सीनियर लग रहा था पूछता है, ’’शर्मा जी घर पर हैं?’’
सरला जी सहज ही पूछ लेती हैं, ’’आप कौन?’’
’’हम लोग इनकम टैक्स ऑफ़िस से आए हैं, शर्मा जी से काम है।’’
इनकम टैक्स ऑफ़िस? बड़े आश्चर्य से, ’’क्यों जले पर नमक छिड़क रहे हो साहब, इनकम हो तो इनकम टैक्स का काम।’’ सरला जी बड़ी चिंतित होकर बोलीं।
ऑफ़िसर रौबदार अंदाज़ में बोला, ’’देखिए इनकम है या नहीं वो तो जांच से मालूम पड़ जाएगा, फिलहाल तो हमें अंदर आने दें।’’
सरला जी क्या करती, डरते-डरते उन्हें अंदर आने दिया और शर्मा जी को बुलाने चल पड़ी। सरला जी ने शर्मा जी को घबराते अंदाज़ में सब बताया। शर्मा जी कहते हुए बाहर आए कि शायद कोई ग़लतफ़हमी हुई होगी।
शर्मा जी, ’’हां बोलिए, मैं ही शर्मा हूं। क्या मैं पहले आपका परिचय जान सकता हूं?’’ (ईमानदार आदमी हमेशा निडर होता है और शर्मा जी तो सरकारी कर्मचारी हैं)
’’हां-हां बिल्कुल, मैं महेश चौरसिया, सीनियर इनकम टैक्स ऑफ़िसर और ये मेरे साथी। मेरे पास आपकी जांच करने के आदेश हैं। ये देखिए लेटर।’’
शर्मा जी लेटर देखते हैं तो उस पा नाम साफ़ लिखा था ’अनूप शर्मा’। शर्मा जी अब एक बार तो चिंतित हो जाते हैं। ’’बताएं आप क्या जानना चाहते हैं? मेरी तो आय इतनी नहीं है। रिटर्न इसलिए नहीं भरा क्योंकि हमारे वकील साहब चोपड़ा जी ने बताया था कि आपकी आय इतनी नहीं है कि आपको रिटर्न भरना पड़े।’’
शर्मा जी इधर सफाई दे रहे थे कि सरला जी ने जल्दी से बेटे राहुल को जगाया। राहुल तेजी से बाहर कमरे में आया तो देखता है वो ऑफ़िसर पिताजी से बड़े रौब से बात कर रहा है और पिताजी उसको सर-सर कह रहे हैं। राहुल से ये सब देखा नहीं गया वो बीच में ही बोल पड़ा।
’’आप मेरे पिता से ऐसे बात नहीं कर सकते। आपको शायद कोई ग़लतफ़हमी हुई है। हमारे पिता तो ईमानदारी की मिसाल हैं। हमें फख़्र है उनकी ईमानदारी पर।’’ ये शब्द सुनते ही शर्मा जी के दिल को बहुत अच्छा लगा। किंतु ऑफ़िसर चौरसिया को एकदम गुस्सा आ गया।
’’आप कौन हैं जो हमारी जांच में दख़ल दे रहे हैं? एक तो गुनाह करते हैं और दूसरा हमसे बदतमीज़ी कर रहे हो।’’
’’मैं इनका बेटा हूं और मुझे पूरा हक़ है आपसे बात करने का। आपको जो भी जानकारी चाहिए ज़रा अच्छे से पूछिए, गुनाह के पहले गुनहग़ार साबित न करें। हमारे पास पैसे नहीं हैं तो क्या हुआ इज्जत तो है। ये अलग बात है कि इसकी समाज में कोई कीमत नहीं है।’’ Next Page पर पढ़ें पूरी कहानी…
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