रिलेशनशिप में इन्सिक्योरनेस की प्रॉब्लम्स को इन तरीकों से करें दूर
इन्सिक्योरनेस की प्रॉब्लम जरूरी नहीं सिर्फ पति-पत्नी के रिलेशनशिप में ही देखने को मिले, ये हर उस जगह देखने को मिल सकती है जहां प्यार तो बेशुमार होता है लेकिन कॉन्फिडेंस की उतनी ही ज़्यादा कमी, फिर चाहे वो पेरेंट्स का बच्चों के लिए प्यार हो, बेस्ट फ्रेंड्स के बीच का प्यार हो या फिर गर्लफ्रेंड और ब्वॉयफ्रेंड का प्यार.
एक-दूसरे के लिए बहुत ज़्यादा पॉजेसिव होना, केयर करना और साथ ही शक करने की आदत रिलेशनशिप की इन्सिक्योरनेस को इतना ज़्यादा बढ़ा देती है जिसे दूर कर पाना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन हर एक बीमारी की ही तरह इसका भी इलाज़ पॉसिबल है. बस थोड़ा सब्र और आदतों में छोटे-मोटे बदलाव करके रिश्तों में पनप रही इन्सिक्योरिटी (असुरक्षा की भावना) को काफी हद तक दूर किया जा सकता है.
आज हम यहां पति-पत्नी और गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड के रिश्ते में आ रही इन्सिक्योरनेस की प्रॉब्लम को कैसे दूर किया जा सकता है इसके बारे में जानेंगे…
खुद पर विश्वास रखें
रिलेशनशिप में इन्सिक्योरिटी तब और ज़्यादा देखने को मिलती है जब कोई भी एक पार्टनर खुद को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं होता. ये कॉन्फिडेंस आपके लुक, ड्रेसिंग और काबिलियत किसी से भी जुड़ा हो सकता है इसलिए नॉलेज़ हो, ब्यूटी या फिर स्मार्टनेस, खुद को हर मामले में बेस्ट समझे, लेकिन हां इससे आपका ओवर कॉन्फिडेंस भी नहीं झलकना चाहिए.
किसी से बराबरी करने की कोशिश न करें
हर किसी के लिए रिश्तों के अलग-अलग मायने हैं और उसे निभाने के अपने-अपने तरीके. इसलिए दूसरों की देखा-देखी करने की कोशिश बिल्कुल भी न करें. हर किसी का नेचर अलग होता है और उसके जैसा बनने के चक्कर में कई ऐसी उम्मीदों को पालने लग जाते हैं जिसका पूरा हो पाना मुश्किल होता है. इसके साथ ही पुराने किसी रिलेशनशिप से बराबरी करना भी वर्तमान के रिश्तों पर असर डालता है.
पार्टनर के ऊपर डिपेंड न रहें
अपनी प्रियोरिटी खुद सेट करें और उसे पूरा करने का जिम्मा भी खुद ही उठाएं. छोटी-छोटी चीज़ों के लिए पार्टनर के ऊपर डिपेंड रहना सही नहीं क्योंकि जब वक्त की कमी या किसी दूसरी वजह से काम नहीं होते तो इन्सिक्योरिटी वाली फिलिंग बढ़ने लगती है जिसका जिम्मेदार पार्टनर को ही ठहराया जाता है. नेक्स्ट पेज पर पढ़ें पूरा आर्टिकल।
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