राजनीति के मैदान से कारगिल की जंग तक, बोफोर्स ने ऐसे बरसाया कहर
हम आज तक अखबारों में न्यूज चैनल पर बोफोर्स घोटालें को लेकर काफी खबरें सुनते और पढ़ते आएं हैं। इस घोटाले ने पूरे देश की राजनीति को बदल कर रख दिया था। तात्कालीन पीएम राजीव गांधी और महानायक अमिताभ बच्चन का नाम इस घोटाले में आया था। हम यहां पर आपको बोफोर्स घोटाले के बारे में नही बताने जा रहे हैं। हम बताने जा रहे हैं बोफोर्स घोटाले में खरीदी गई तोप के बारे में। इस तोप ने दो देशों की राजनीति को हिला कर रख दिया था। आइए जानते है ऐसा क्या था इस तोप में जो इसने इतना हंगामा किया।
बोफोर्स की इस तोप ने दो देशों की राजनीति में पूरी तरह हलचल मचा दी थी। ये देश थे स्वीडन और भारत। इन दोनों देशों के बीच बोफोर्स डील हुई थी। जिसमें रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। इन आरोपों में पूर्व पीएम राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन के नाम आए। बोफोर्स घोटाले को अभी भी देश का सबसे विवादित और बड़ा घोटाला कहा गया है। हालांकि इसमें अब राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन को क्लीन चिट मिल चुकी है। आइए आपको बताते हैं क्या थी बोफोर्स डील और किस तरह हुआ था बोफोर्स घोटाला…
बोफोर्स डील दरअसल 24 मार्च 1986 में दो देशों भारत और स्वीडन के मध्य होने वाली एक डील थी। जिसमें भारत ने स्वीडन की हथियार बनाने वाली कंपनी एबी बोफोर्स से 155 एमएम की होवित्ज़र फील्ड गन की खरीदी की थी। यह डील 15 अरब अमेरिकन डॉलर की थी। इस डील को भारत और स्वीडन के बीच करवाने वाला व्यक्ति इटली का रहने वाला ओत्तावियो क्वात्रोच्चि था।
इस डील को करवाने के बाद 1987 में यह बात सामने आई कि भारत ने स्वीडन कंपनी से हथियार लेने के लिए दलाली चुकाई थी। उस वक्त यह सामने आया कि भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिए 80 लाख डॉलर की दलाली चुकाइ्र्र थी। उस समय भारत में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी तात्कालीन प्रधानमंत्री थे। इस घोटाले में उनका नाम आया। इसका ख़ुलासा सबसे पहले 1987 में रेडियो पर किया गया था। तभी से इसे बोफोर्स काण्ड कहा जाने लगा।
इंडियन आर्मी में भूमिका
कारगिल वार तो आप सभी को याद होगा। इसमें देश के सपूतों ने अपनी जान की बाजी लगाकर पाकिस्तान से भारत की जमीन को आज़ाद कराया था। एक तरफ जहां रूह कंपाने वाली ठंड थी। जिसमें लोगों की जान निकल जाए, ऐसी ठंड में इन जवानों ने अपनी जान पर खेलकर ये जंग जीती थी। इस जंग में बोफोर्स की तोप ने काफी जलवे बिखेरे थे। इस तोप के जलवे तो ऐसे थे कि पाकिस्तानी भी इसे देखकर डर गए। एक ही जगह पर रहकर चारो तरफ वार करने वाली ये तोप कारगिल में भारत के लिए काफ़ी मददगार साबित हुई। इस तोप के वीडियो देखेंगे तो आप भी कहेंगे कि वाकई इतने बड़े बोफोर्स घोटाले वाली बोफोर्स आखिर क्या कमाल करती है। देखिए ये वीडियो जिसमें इंडियन आर्मी के जवान बोफोर्स चला रहे हैं।
कारगिल में दुश्मन की नाक में दम करने वाली ये तोप और पूरे देश की राजनीति में हलचल मचाने वाली इस तोप ने सभी को दागा, चाहे वो दुश्मन हो या फिर भारत के पीएम राजीव गांधी। इस तोप से देश के महानायक अमिताभ बच्चन भी नहीं बचे। घोटाले के 25 साल बाद जब उन्हे क्लीन चिट मिली तो उन्होने अपना दर्द बयां करते हुए कहा था कि ‘‘जब बोफोर्स घोटाले में मेरे परिवार और मुझ पर आरोप लगे, तो उन्होंने हमारे अस्तित्व को अभी तक के सबसे बुरे रंगों में पेश किया। 25 साल बाद मामले के अभियोजक ने सत्य को सार्वजनिक किया। बच्चन परिवार को फंसाया गया था। 25 साल बाद जब इसका खुलासा हुआ, तो उन्होंने मेरी प्रतिक्रिया मांगी। मैं भला क्या प्रतिक्रिया देता। कोई भला क्या कहता, क्या वे 25 साल के दर्द को मिटा सकते थे ? क्या वे बदनामी के बदनुमा रंगों को मिटा सकते थे ?’’
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि क्यां इस तोप को लेकर नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया में इतना बवाल मचा हुआ था। इस तोप के कारण राजनीति के सबसे बड़े परिवार गांधी परिवार और बॉलीवुड की दुनिया के सबसे बड़े बच्चन परिवार के रिश्तों में दरार आ गई। बचपन से साथ रहने वाले गांधी और बच्चन परिवार के रिश्तों में हमेशा के लिए खटास आ गई। वहीं दूसरी ओर कारगिल में भी इस तोप ने गदर मचाया। स्वीडन कंपनी बोफोर्स की तोप होवित्ज़र और दोनों देशों की राजनीति को हिलाने वाले बोफोर्स कांड को भूलना वाकई में नामुमकिन है।