Sunday, August 6th, 2017
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फिल्म इंडस्ट्री में 90 पर्सेन्ट लोग अनपढ़ हैं : तिग्मांशु धूलिया




Entertainment

tigmanshu dhulia

बॉलीवुड की हर फिल्म एक नई कहानी को लेकर आती है लेकिन हर कहानी में हमें बहुत कुछ एक जैसा ही देखने को मिलता है। जैसे हीरो-हीरोइन की दोस्ती, उनका प्यार और विलेन के साथ मार-धाड़। क्या फिल्मों की कहानी सिर्फ इतनी ही होती है? नहीं न! कई सारी फिल्में इन सबसे हटकर रीयल ज़िन्दगी को भी बताती हैं।

फिल्मों में बताया जाता है कि एक खूबसूरत हीरोइन होती है जो हर समय खूबसूरत दिखती है। जब वो खाना बनाए तब खूबसूरत दिखे, जब वो काम करे तब खूबसूरत दिखे लेकिन क्या रीयल लाइफ में ऐसा कुछ होता है। रीयल लाइफ फिल्मों से थोड़ी अलग होती है। फिल्में इन्हें हमारे सामने तो लाती है लेकिन उस ढंग में जो हमें अच्छा-अच्छा फील कराए।

अच्छा-अच्छा फील कराने वाली फीलिंग कई डायरेक्टर्स और फिल्मेकर्स हमको देते हैं लेकिन जो रीयल वाली लाइफ का फील है वो कम ही डायरेक्टर दे पाते हैं। ऐसी बहुत ही कम फिल्में होंगी जिनमें जीवन को उसी रूप में बताया जाए जिस में रूप में वो है। ऐसी फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर्स और फिल्ममेकर्स में एक नाम तिग्मांशु धूलिया का भी है।

तिग्मांशु धूलिया ने हाल ही में ऐसी फिल्म बनाई है जिसका ट्रेलर संसद भवन में रिलीज़ किया गया था। वजह थी फिल्म देशभक्ति से ओत-प्रोत है और इसके पीछे लोकसभा टीवी का भी हाथ है। तिग्मांशु का कहना है कि फिल्म की कहानी एकदम रीयल है और इतिहास के साथ उन्होंने कोई छेड़छाड़ नहीं की। फिल्म का ट्रेलर आते ही सुपरहिट हो गया अब ये देखना है फिल्म कितनी हिट होती है।

तिग्मांशु धूलिया के नाम पर कई सारी ऐसी फिल्में है जिनमें उन्होंने आम फिल्मों से कुछ अलग करके दिखाया है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम तिग्मांशु धूलिया के गुण क्यों गा रहे हैं तो आपको बता दें कि 3 जुलाई 1967 को तिग्मांशु जन्मे थे। इसी कारण हम आप तक उनके बारे में कुछ इंट्रेस्टिंग बातें बता रहे हैं।

सबसे पहली बात तो ये कि तिग्मांशु किसी फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं है उनके पापा इलाहबाद हाईकोर्ट में जज थे और मम्मी संस्कृत की प्रोफेसर। साल 1986 में तिग्मांशु ने इलाहबाद से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और दिल्ली आ गए। यहां नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा मे थिएटर में मास्टर डिग्री ली।

तिग्मांशु जब फिल्ममेकर नहीं बने थे और बॉलीवुड लाइन में आने की कोशिश कर रहे थे तब उन्हें मौका मिला कास्टिंग डायरेक्टर बनने का। उनकी कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में ‘बैंडिट क्वीन’ पहली फिल्म थी। कास्टिंग डायरेक्टर के बाद तिग्मांशु ने केतन मेहता की फिल्म सरदार में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया। तिग्मांशु काफी मल्टीटैलेंटड पर्सन है। उन्होंने इन दो कामों के अलावा फिल्म ‘दिल से’ और ‘तेरे मेरे सपने’ में स्क्रीन राइटर का काम भी किया। तिग्मांशु जब डायरेक्टर बने तो फिल्म ‘हासिल’ बनाई। इस फिल्म को युवा वर्ग ने काफी सराहा था।

तिग्मांशु ने फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ भी बनाई थी जो बड़े पर्दे पर काफी हिट हुई। इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवार्ड भी दिया गया था। तिग्मांशु फिल्मों के अलावा टीवी सीरियल्स भी बना चुके हैं। उन्होंने ‘एक दूज के लिए’ और ‘राजधानी’ जैसे सीरियल बनाए है।

तिग्मांशु ने हाल ही में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि बॉलीवुड में करीब 90 फीसदी लोग अनपढ़ हैं। तिग्मांशु से जब सवाल किया गया कि देश में इतना कुछ हो जाता है उसके बावजूद मुंबइया फिल्मों के कलाकार सड़क पर क्यों नही उतरते। इस पर उन्होंने कहा था कि मुझे इस बात का बहुत दुख है कि इंडस्ट्री में इतने बड़े-बड़े कलाकार हैं ट्विटर पर उनके लाखों फॉलोवर्स हैं और इतना कुछ होता है फिर भी कोई कुछ नहीं बोलता।

तिग्मांशु ने कहा कि यह सवाल उन लोगों से करना चाहिए क्योंकि मैं कुछ न कुछ तो करता ही रहता हूं। उन्होने कहा कि लोग बोलने से डरते हैं क्योंकि फिल्म वाले सॉफ्ट टारगेट होते हैं 90 फीसदी फिल्म इंडस्ट्री वाले अनपढ़ हैं। ये अनपढ़ लोग हैं। उनमें इतनी समझ ही नहीं हैं कि असली बात बोलेंगे।

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