जब स्वास्थ्य को लेकर कोई बड़ी समस्या हमारे सामने आती है तो हम डॉक्टर के पास भागते हैं और भगवान की दुआ के साथ डॉक्टर को भी भगवान मान लेते हैं। आम लोग ये मानते हैं कि ईश्वर ने ही डॉक्टर के हांथों में वो हुनर और मन में किसी को बचा लेने की भावना दी है जो किसी की भी मदद करने को तैयार रहे। एक डॉक्टर किसी को जीवनदान दे सकता है तो एक नई जिंदगी को दुनिया में ला भी सकता है।
लेकिन राजस्थान के जोधपुर स्थित उम्मेद अस्पताल में डॉक्टर्स का एक अलग ही और भयावह रूप देखने को मिला है, इस अस्पताल के दो डॉक्टर्स का एक वीडियो सामने आया है जो हैरान कर देने वाला है। इस वीडियो में दो डॉक्टर्स एक दूसरे से लड़ते नजर आ रहे हैं और वो भी तब, जब वो ऑपरेशन थिएटर में मरीज का ऑपरेशन करने वाले थे। ऑपरेशन थिएटर की टेबल पर दर्द से कराहती बेसुध गर्भवती महिला का इलाज न कर दोनों लड़ रहे थे और दोनों के झगड़े से इलाज में हुई देरी से उस महिला ने अपनी बच्ची को खो दिया।
ये है पूरा मामला-
जानकारी के मुताबिक़, रातानाडा की रहने वाली अनीता को प्रसव पीड़ा के चलते मंगलवार सुबह डिलीवरी के लिए जोधपुर के उम्मेद हॉस्पिटल लाया गया था और उन्हें पहले लेबर रूम ले जाया गया, जहां डॉ. इंद्रा भाटी ने उन्हें चेक किया तो पेट में बच्चे की धड़कन स्लो थी। इस पर अनीता को तुरंत सिजेरियन डिलिवरी के लिए ऑपरेशन थिएटर (OT) में भेजा गया। गर्भवती महिला और बच्चे की जान बचाने के लिए तुरंत ऑपरेशन किया जाना जरूरी था। हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में एक टेबल पर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अशोक नैनीवाल किसी दूसरी महिला का ऑपरेशन कर रहे थे।
अनीता को दूसरी टेबल पर ले जाया गया। यहां एनेस्थिसिस्ट और ओटी इंचार्ज डॉ. एमएल टाक ने बच्चे की धड़कन जांचने के लिए दूसरे डॉक्टर से कहा। इसी दौरान डॉ. अशोक अचानक भड़क उठे और डॉ. टाक पर जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। इस पर डॉ. टाक भी अपना आपा खो कर बिना सोचे समझे, अनीता को उसी स्थिति में छोड़कर डॉ. अशोक के सामने पहुँच गए। दोनों के बीच तू-तू-मैं-मैं शुरू हो गई। वहां मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने दोनों डॉक्टर्स को समझाने की बहुत कोशिश की, पर वे नहीं माने। बाद में अनिता के सिजेरियन से हुई नवजात बच्ची ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। अब ये पूरा मामला कोर्ट में पहुँच गया है जिस पर राजस्थान हाई कोर्ट ने रिपोर्ट की मांग की है।
इंसानियत और डॉक्टर के पेशे को शर्मसार करती घटना है ये
जब डॉक्टर बनने की प्रक्रिया पूरी कर कोई एक डॉक्टर बनता है तो उसके हाथों में डिग्री तो होती है लेकिन इस पेशे में एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी भी साथ आ जाती है, और वो यह कि किसी भी परिस्थिति में अपने मरीज़ को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना और लोगो की हर संभव मदद करना, और साथ साथ खुद को इतना काबिल बना लेना कि किसी भी परिस्थिति में अपना संयम ना खो कर हर परिस्थिति का सामना कर सके।
पर क्या कोई डॉक्टर ऐसा भी कर सकता है कि दर्द से तड़पते मरीज को छोड़ कर अपने आपस के मुद्दे सुलझाने के लिए OT में ही लड़ने झगड़ने लगे वो भी मरीज की अनदेखी कर के। ये जो वीडियो सामने आया है उससे चिकित्सा के क्षेत्र पर एक सवाल उठ खड़ा हुआ है कि अब डॉक्टर का पेशा सामाजिक नहीं व्यापारिक बन गया है?
क्या डॉक्टर्स में अब वो संयम नहीं रहा या मदद करने की भावना नहीं रही है? और इस वीडियो से राजस्थान के उस हॉस्पिटल पर भी सवालिया निशान उठते हैं की OT में मोबइल फ़ोन पर वीडियो बनाया गया तो इसका मतलब तो यही हुआ की वहां मोबाइल ले जाने की कोई पाबन्दी ही नहीं है। जो कि सुरक्षा मानकों को लेकर एक बहुत बड़ी चूक है, मोबाइल से मरीजों में इन्फेक्शन और रेडिएशन का डर रहता है।इस पूरे मामले में वीडियो के सामने आने पर राज्य सरकार के आदेश पर डॉ. अशोक नैनीवाल को एपीओ कर दिया गया, जबकि डाॅ. टाक पर एक्शन के लिए कार्मिक विभाग में फाइल भेजी गई है।