हे कृष्ण! तुम्हारी गाय अब आवारा हुई
हे कृष्ण! तुम्हारी गाय अब आवारा हुई,
गांव-शहर-चौराहों से खदेड़ी गई, पकड़ी गई,
अब तुम्हारी गाय आवारा हुई।
इंसान भले ही अब आवारा हुआ,
किन्तु वह न खदेड़ा गया न पकड़ा गया
बस सिर्फ तुम्हारी गाय ही आवारा हुई।
आवारा न हुए कुत्ते-सुअर, न अन्य जानवर
बस अब तो तुम्हारी गाय ही आवारा हुई।
सड़क पर बेतरतीब चलते वाहन आवारा न हुए,
जब भी चर्चा आवाराओं की हुई, तुम्हारी गाय ही आवारा हुई,
हे कृष्ण! तुम्हारी गाय ही आवारा हुई।
निकालते हैं आज भी रोटी गायों की,
पूजा की जाती है आज भी गायों की
माना जाता है अच्छा गाय का मूत्र, गाय का दूध, घी, गोबर
वही गाय आज-अब आवारा हुई।
आवारा होने से हम तो न बचा सके इसांनों को, वाहनो को, अन्य जानवरों को,
हे कृष्ण! अब तुम तो आकर बचा लो आवारा होने से अपनी गायों को,
आवारा होने से अपनी गायों को…..