तीन तलाक के मुद्दे पर अरुण जेटली का बड़ा बयान
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इस वक्त तीन तलाक को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। सरकार और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसको लेकर आमने सामने हैं। सरकार तीन तलाक को संविधान के खिलाफ़ बता रही है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड धार्मिक मामलों में दखल न देने को कह रहा है। ऐसे मे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर अपने ब्लॉग के ज़रिए बड़ा और अहम बयान दिया है। वित्त मंत्री ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड दो अलग अलग मुद्दे हैं। पर्सनल लॉ पर जेटली ने अपनी राय साफ़ करते हुए लिखा है कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान के हिसाब से ही होना चाहिए। ग़ौरतलब है कि जेटली के इस बयान से पहले भी सरकार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए ये साफ़ कर चुकी है कि तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड दो अलग अलग मुद्दे हैं।
क्या हैं नियम?
भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ से जुड़े कोई संहिताबद्ध कानून नहीं हैं। ये मुख्य रूप से अंग्रेजों के समय के दो कानूनों द्वारा नियंत्रित होते हैं। पहले 1937 एक्ट में कहा गया है कि भारत के मुसलमान शरिया से संचालित होंगे, लेकिन उसमें यह उल्लेख नहीं है कि शरिया में क्या शामिल है और क्या नहीं। दूसरा है 1939 एक्ट, जिसमें ऐसे 9 कारणों का जिक्र है, जिनके आधार पर एक मुस्लिम महिला तलाक के लिए अदालत जा सकती है। इनके अलावा 1986 का रखरखाव अधिनियम भी है जिसके अनुसार तलाक के बाद मुस्लिम महिला एकमुश्त रखरखाव पाने की हकदार है।
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