Thursday, August 31st, 2017
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ये है इंडिया की पहली ब्लाइंड डॉक्टर, लड़कर जीती अपने हक की लड़ाई




Education & Career

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ये बात कहने में तो बड़ी आसान है कि कोई भी कार्य असंभव नही है। मगर हम में से एसे कितने लोग होंगे जो असंभव कार्य को करने कि सोचेंगे। ज़ाहिर सी बात है कोई नही मगर हम कहते हैं ये संभव है जी हा! इसी कहावत को सच करने वाली कृतिका पुरोहित ;मुम्बई जो जन्म से नेत्रहीन है। कृतिका ने असंभव को संभव करने की ठान लीए फिर क्या था…

नेशनल एसोसिएशन फ़ोर द ब्लाइड़ से मेडिकल कि पढ़ाई कर आज़ खुद डॅाक्टऱ बन अपने जैसे कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। कृतिका का कहना है जब वे 17 साल कि थी तब उन्हें सीईटी देने में बडी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकिए इस एग्ज़ाम में विजुअल टेस्ट अनीवार्य था जो वाकई कृतिका के लिए बडा चैलेन्जिग था उस टेस्ट को क्लियर करना। शिक्षा के अधिकार के तहत कोर्ट ने कृतिका कि पढ़ाई में रूकावटें आने नहीं दी।

सिर्फ़ वही रूकावट नहीं थी वो तो शुरूवात थी उसके बाद सरकारी कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद भी प्रेक्टिकल सिखाने से इनकार कर दिया था फिर एक बार कृतिका को कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। फिर सफल हो कर दिखाने वाली कृतिका आज डॉक्टर बन उसके खिलाफ़ बोलने वालो का मुह तो बंद किया है साथ ही अपनी तरह नेत्रहिनों के लिए उदाहरण भी दिया।

उनका कहना है बिना अपने मार्गदर्शकों और मेहनत के बिना कुछ नही कर पाती। उन्होने ये भी बताया कि र्कोस के दौरान प्रशिक्षण और मार्गदर्शन से उन्हें काफी सहायता मिली जिससे वे शारिरीक रचना और विज्ञान में अव्वल रही जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने ऑक्यूपेशनल थैरपी और फिजियोथैरेपी के लिए कृतिका को प्रथम नेत्रहिन डाक्टर के रूप में प्रमाणित किया।

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