मणिपुर में BJP ने साबित किया बहुमत, मिला 32 विधायकों का समर्थन
परीक्षित गंगराड़े. सरकार बनाने के लिए राज्य में 31 विधायकों की जरूरत होती है और बीजेपी ने बहुमत से एक विधायक ज्यादा वोट हासिल किया. काफी अटकलों के बाद अन्य राज्यों की अपेक्षा मणिपुर में बीजेपी को ज्यादा मशक्कत के आसार लग रहे थे लेकिन आज फ्लोर टेस्ट में बीजेपी अपनी पूर्व की हैट्रिक से भी आगे बढ़कर अपनी हालिया गठित राज्य सरकारों का आंकड़ा 4 तक ले जा मणिपुर विधानसभा चुनाव 2017 में नंबर दो पर रहने के बावजूद सरकार बनाने में कामयाब रही. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सोमवार को सदन में हुई अग्नि परीक्षा में कामयाब हो गई है, और उन्होंने ध्वनिमत से विश्वास प्रस्ताव जीत लिया है.
चुनाव परिणामों में मणिपुर की 60-सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 28 सीटों के साथ टॉप पर रही थी, और बीजेपी को सिर्फ 21 सीटें मिल पाई थीं, जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा राज्यपाल को पेश किया जबकि एनडीए में शामिल नगा पीपुल्स फ्रंट के चार सदस्यों ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार गठन के लिए बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की. अन्य विधायकों के समर्थन के दावों के साथ बीजेपी ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था, जिसे राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने एक्सेप्ट कर उसे न्योता दे दिया. इसके बाद 15 मार्च को बीजेपी नेता एन. बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी, और एनपीपी नेता यूमनाम जयकुमार सिंह को डिप्टी सीएम के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई.
राजभवन सूत्रों ने बताया था कि नगा पीपुल्स फ्रंट के चार विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की थी. गोवा के बाद मणिपुर दूसरा ऐसा राज्य बना, जहां हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में नहीं उभरने के बावजूद बीजेपी की गठबंधन सरकार बन गई है.
मणिपुर एवं गोवा में सरकार बनाने के प्रयासों को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए बीजेपी ने कहा था कि कांग्रेस पर्याप्त संख्याबल जुटाने में विफल रही तथा अपने पूर्व के कर्मों के कारण उसे विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने संसद परिसर में कहा था, ’कांग्रेस ने विगत में कई बार अधिकारों और अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर गैर-कांग्रेसी सरकार को गिराया है… उसने सबसे बड़े दल को सरकार नहीं बनाने दी… उनके पास आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
मणिपुर में दोहरा हर्ष
बीजेपी सरकार द्वारा फ्लोर टेस्ट जीतने का जश्न पूरी पार्टी एवं सहयोगियों द्वारा समूचे राज्य में हर्षोल्लास के साथ इजहार किया जा रहा है. इसी के साथ राज्य की जनता मणिपुर में करीब पांच माह से जारी यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) की आर्थिक नाकेबंदी भी मध्यरात्रि के बाद समाप्त हो जाने से हर्षित है. सेनापति जिला मुख्यालय में आयोजित केंद्र, राज्य सरकार और नगा समूहों की बातचीत के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा गया था, ’यूएनसी नेताओं को बिना शर्त रिहा किया जाएगा और आर्थिक नाकेबंदी को लेकर नगा जनजातीय नेताओं और छात्र नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों को खत्म किया जाएगा…’ राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के सात नए जिले बनाए जाने के फैसले के खिलाफ यूएनसी ने 1 नवंबर, 2016 को आर्थिक नाकेबंदी शुरू की थी.
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