किसी इंफ्रास्ट्रक्चर से आपकी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ी, तो सरकार लेगी हिस्सेदारी
भविष्य में आपकी खरीदी हुई प्रॉपर्टी की बढ़ी कीमत का कुछ हिस्सा अब आपको सरकार को देना होगा। जी हां, यदि आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी और आने वाले सालों में वहां डवलप हुए इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण आपकी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ गई तो इसका सारा प्रॉफिट आप खुद नहीं रखेंगे, बल्कि इसमें से थोड़ी हिस्सेदारी सरकार को देनी होगी। प्रॉपर्टी मालिक को हुए फायदे में अपना हिस्सा लेने के बाद सरकार उसी इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर को और डवलप करने पर खर्च करेगी। उदाहरण के तौर पर नोएडा, गुडग़ांव और दिल्ली में मेट्रो लाइन के एक किलोमीटर के दायरे में प्लॉट्स पर फ्लोर्स बढ़ाने की इजाजत मिलेगी, तो नए निर्माण पर टैक्स भी लगेंगे, क्योंकि सरकार प्रॉपर्टी मालिक को हुए फायदे में अपना भी हिस्सा लेगी। महाराष्ट्र स्टैंप ड्यूटी पर एक प्रतिशत का सरचार्ज लगता है। ताकि मेट्रो रेल, मोनो रेल और बस रैपिड सिस्टम को फंड कर सके। इसी तरह कर्नाटक भी वेंचर कैप्शन फाइनेंसिंग के जरिए मास ट्रांसिट सिस्टम के लिए फंड जुटाता है।
इस तरह के चार्ज देशभर के सभी 500 शहरों में लगना शुरू हो जाएंगे। क्योंकि केंद्र सरकार इस साल वैन्यू कैप्चर फाइनेंस पॉलिसी फ्रेमवर्क लागू करने जा रही है। शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से तैयार हुए नोट के अनुसार इस तरह का बेटरमेंट टैक्स आपकी प्रॉपर्टी की कीमत में हुई बढ़ोतरी का एक तिहाई तक हो सकता है। वित्त मंत्रालय ने एक ऑफिस मेमोरेंडम तैयार किया है, जिसके मुताबिक सरकार ने फैसला लिया है कि वीसीएफ केंद्र सरकार के सभी प्रोजेक्ट्स के डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट का खास हिस्सा होगा। इसके पीछे आइडिया ये है कि अगर एलिवेटिड रोड , मेट्रो रेल या पॉवर प्लांट जैसी किसी सरकारी परियोजना से आपकी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ती है तो बढ़ी हुई कीमत का फायदा डवलपिंग एजेंसीज को भी मिलना चाहिए। सरकार इस पैसे से शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी और स्थिति बदलने की उम्मीद कर रही है।
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