’मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’,’अच्छा तो हम चलते हैं’, ’मेरे महबूब कयामत होगी’ जैसे बेहतरीन गीतों के लिए हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने वाले गायक किशोर कुमार का आज यानी शुक्रवार को जन्मदिन है। किशोर कुमार सिर्फ गायक ही नहीं थे बल्कि वे निर्देशक, निर्माता, अभिनेता सब कुछ थे। भले ही आज वे हमारे साथ नहीं हैं पर उनके गाए गीत आज भी लाखों युवाओं की जुबां पर हैं।
खंडवा में जन्में किशोर ने इंदौर से की थी पढ़ाई
किशोर का जन्म मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में 4 अगस्त 1929 में हुआ था। उनके पिता का नाम कुंजीलाल गांगुली था, जिनकी गिनती खंडवा के जाने-माने वकीलों में होती थी और मां का नाम गौरी देवी था। उन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़ाई की थी।
एक घटना ने बदल दी आवाज
आपको जान कर हैरानी हो सकती है कि किशोर कुमार बचपन से सुरीले नहीं थे। एक बार उनकी मां खाना बनाने के लिए सब्जियां काट रही थीं उसी दौरान किशोर अपनी मां के पास किसी काम के लिए गए और पास में रखी दराती से उनके पैर की उंगली कट गई। उंगली कटने के असहनीय दर्द से वे काफी परेशान रहने लगे। दर्द को दूर करने के लिए वे जोर-जोर से रोते थे। इसका असर उनकी आवाज पर पड़ने लगा और इस तरह उनकी आवाज बदल गई। इस चौंका देने वाली बात का खुलासा खुद उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में किया था।
चार बार बंधे थे शादी के बंधन में
किशोर दा ने पहली शादी रूमा देवी से की लेकिन रूमा और किशोर दा का यह रिश्ता ज्यादा समय तक चल न सका आपसी अनबन के चलते रूमा और किशोर दा की राहें अलग हो गईं। इसके बाद किशोर ने जिंदगी को एक और मौका दिया। उन्होंने मधुबाला के साथ जीवन को नए सिरे से जीने का का फैसला किया। मधुबाला के लिए उन्होंने अपना नाम बदल कर इस्लामिक नाम करीम अब्दुल रख लिया लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। नौ साल बाद मधुबाला का स्वर्गवास हो गया। एक बार फिर फिल्मी जगत का यह नायक अकेला हो गया। सन् 1976 में अभिनेत्री योगिता के साथ किशोर दा ने फिर से एक नई शुरूवात करने का फैसला लिया लेकिन उनकी यह शादी महज दो साल में टूट गई। योगिता ने सन् 1978 में अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से कर ली। इधर दो साल बाद फिल्मी जगत के मशहूर सिंगर ने लीना चंद्रावरकर से चौथी व आखिरी शादी की। लीना के साथ उनका यह रिश्ता अच्छा चला। उनके दो बेटे हुए।
’शिकारी’ से रखा था फिल्मी जगत में कदम
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत सन् 1946 में आई फिल्म शिकारी से की थी। इस फिल्म में उन्हें पहली बार गाने का मौका मिला था। फिल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
आठ बार जीता फिल्म फेयर अवॉर्ड
किशोर दा को उनकी गायकी के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है।
इन गानों के लिए मिला अवॉर्ड
उन्हें सन् 1969 में आई फिल्म ’आराधना’ के गीत ’रूप तेरा मस्ताना’ के लिए बेस्ट सिंगर का अवार्ड मिला। 1975 में ’दिल ऐसा किसी ने मेरा’, 1978 में ’खाइके पान बनारस वाला’, 1980 में ’थोड़ी सी बेवफाई’, 1983 में ’पग घुंघरू बांध मीरा नाची, 1984 में ’अगर तुम न होते’, और 1985 में ’सागर किनारे दिल ये पुकारे’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।
18 अक्टूबर 1987 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा इसके साथ ही उन्होंने फिल्मी जगत सहित दुनिया को अलविदा कह दिया।