जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर को कौन नहीं जानता। वे अपनी तानाशाही के कारण काफी प्रचलित थे और लोगों में उनका भयंकर खौफ था। हालांकि उनके जैसा तानाशाह इसके बाद देखने को नहीं मिला। खैर, जितने प्रचलित हिटलर थे, उतनी ही प्रचलित और कीमती साबित हुई है उनकी आत्मकथा। जी हां, हिटलर की आत्मकथा मीन कैम्फ की एक कॉपी करीब 8 लाख 32 हजार रूपए में नीलाम हुई है।
आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या है उसकी आत्मकथा में। तो हम आपको बता दें कि इस आत्मकथा में खुद हिटलर के सिग्नेचर इस आत्मकथा को कीमती बनाते हैं। इस पर हिटलर ने खुद साइन किए हैं। ये एक बहुत ही दुलर्भ कॉपी है, जो शायद ही कहीं देखने को मिले। इसे अमेरिका में अलेक्जेंडर हिस्टॉरिकल ऑक् शन्स द्वारा नीलाम किया गया है। किताब के पहले पन्ने पर हिटलर ने खुद का साइन किया है और लिखा है कि युद्ध में केवल महान व्यक्ति ही बचेगा और 18 अगस्त 1930 की डेट लिखी हुई है। किताब की यह कॅापी नीले रंग के कपड़े में है, जिस पर हिटलर की पार्टी का निशान भी मौजूद है।
क्या कहती है हिटलर की ये किताब
Mein Kampf जिसका अर्थ मेरा संघर्ष है। जर्मनी के तानाशाह और पूर्व चांसलर एडोल्फ हिटलर द्वारा लिखित एक पुस्तक है। इसमें हिटलर की आत्मकथा के साथ-साथ उसकी राजनीतिक विचारधारा और जर्मनी के बारे में उसकी योजनाओं का वर्णन है। इसके जरिए हिटलर के दिमाग का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह पुस्तक दो भागों में छपी – पहला भाग सन् 1925 में और दूसरा भाग सन् 1926 में छपा। इस पुस्तक को हिटलर के सहायक रुडोल्फ हेस ने संपादित किया था।
जेल में कैद होने पर हिटलर ने अपनी इस किताब को बोलना शुरु किया जिसे हेस लिखता गया। लिखने के दौरान हिटलर को लगा कि यह पुस्तक दो हिस्सों में होनी चाहिए। लैंड्सबर्ग जेल के जेलर के अनुसार हिटलर को ऐसा लगता था कि यह किताब कई हिस्सों और संस्करणों में छपेगी और इससे मुकदमें में होने वाले खर्च की भरपाई हो सकेगी।
हिटलर पहले अपनी आने वाली पुस्तक को झूठ, बेवकूफ़ी और कायरता के विरुद्ध साढे चार सालों का संघर्ष नाम देना चाहता था। लेकिन ऐसा माना जाता है मैक अमान जो कि फ्रैन्ज हर वर्लैग का प्रमुख और हिटलर की किताब का प्रकाशक था उसने हिटलर को छोटे नाम मीन कैम्फ रखने की सलाह दी।