वेटरिंग की, कुंदन के गहने बेचे.. और फिर कैसे बन गए सुपरस्टार, जानिए
बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरूस्कार दिया गया है। सिर्फ आज ही नहीं बल्कि पिछले 25 सालों से अक्षय सिल्वर स्क्रीन पर छाए रहे हैं। कॉमेडी हो या देशभक्ति अक्षय हर फिल्म में अपनी छाप जरूरी छेड़ते हैं। अक्षय आज जिस मुकाम पर है वहां पहंचने में उनकी सालों की लगन और मेहनत है। चांदनी चौक की गलियों से बॉलीवुड की चमकती दुनिया में अक्षय कैसे पहुंचे इसकी कहानी भी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है।
अगर एक सर्वे की मानें तो मुंबई में हर रोज करीब 20 हजार लोग आते हैं, जिसमें ज्यादातर फिल्मी दुनिया में अपनी किस्मत आजमाने आते हैं। मतलब एक साल में लाखों लोग हीरो बनने का सपना लेकर आते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही शख्स खिलाड़ी निकलते हैं। आपको बता दें कि अक्षय का असली नाम राजीव भाटिया है। उनका जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था, पिता सरकारी नौकरी में थे। अक्षय का बचपन चांदनी चौक की गलियों में बीता है। अक्षय बचपन से ही स्पोट्र्स के दीवाने थे। यही वजह थी कि मार्शल आर्ट ट्रेनिंग के लिए वे बैंकॉक गए और वहां उन्हें शेफ की नौकरी मिल गई। हालांकि उनका सपना आर्मी या नेवी में जाने का था। एक्टिंग के बारे में तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था। अक्षय ने खाना बनाने से लेकर कार्ड बेचने तक का काम किया है। किसी अन्य काम के लिए उन्हें बांग्लादेश भी जाना पड़ा, वहां से कोलकाता जाकर अक्षय ने एक ट्रेवल एजेंसी में भी काम किया। कोलकाता से अक्षय मुंबई पहुंचे जहां से कुंदन के गहने बेचने लगे।
यहां से हुई फिल्मी करियर की शुरूआत-
सबसे पहले अक्षय फोटोग्राफर जयेश के पास गए और उनसे उनका असिस्टेंट बनने के लिए कहा। अक्षय जयेश की मदद के लिए लाइट उठाने तक का काम करते थे। इस दौरान अक्षय की मुलाकात फिल्मकार प्रमोद चतुर्वेदी से हुई और उन्होंने अपनी फिल्म दीदार के लिए उन्हें प्रपोजल दिया। हालांकि इससे पहले उनकी फिल्म सौगंध रिलीज हो चुकी थी। इसी दौरान अब्बास मस्तान की नजर अक्षय पर पड़ी और उन्होंने अपनी फिल्म खिलाड़ी के लिए उन्हें साइन किया। ये फिल्म इतनी हिट हुई कि इसके बाद उनका नाम खिलाड़ी कुमार पड़ गया। इसके बाद उन्होंने मैं खिलाड़ी , तू अनाड़ी, खिलाडिय़ों का खिलाड़ी, इंटरनेशनल खिलाड़ी, खिलाड़ी 420 फिल्म की ।
इसके बाद उन्होंने 1994 में मोहरा फिल्म की, जो सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद तो वे फिल्म इंडस्ट्री के हीरो बन गए थे। इसके बाद उन्होंने दिल तो पागल है, हेरा फेरी, अजनबी, मुझसे शादी करोगे, नमस्ते लंदन, हे बेबी, वेलकम, भूलभुल्लया, सिंह इज किंग, ओह माय गॉउन, पटियाला हाउस, ब्रदर्स, गब्बर इज बैक, खिलाड़ी 486 की। वर्ष 2016 में उन्होंने एयरलिफ्ट, हाउसफुल 3 और रूस्तम प्रदर्शित हुई। अक्षय इन दिनों रजनीकांत के साथ रोबोट के सिक्वल में काम कर रहे हैं।
गोविंदा ने किया एक्टिंग के लिए प्रेरित-
शुरूआती दिनों में जयेश के साथ काम के दौरान वे गोविंदा के घर कुछ फोटो देने के लिए गए, तब गोविंदा ने उनसे कहा कि तू हीरो क्यों नहीं बनता। ये बात सुनकर अक्षय के दिल में ये बात घर कर गई कि वो भी हीरो बन सकते हैं। उन्होंने एक्टिंग कोर्स किया , जिसके बाद उन्हें एक फिल्म का ऑफर मिला। जब फिल्म रिलीज हुई तो पता चला कि उनका रोल सिर्फ 7 सैकंड का था। इसके हीरो का नाम था अक्षय। इसी के नाम पर उन्होंने अपना नाम राजीव भाटिया से बदलकर अक्षय कुमार कर लिया और ऐसे राजीव भाटिया अक्षय कुमार बन गए, जो आज फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं।
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