कैंसरे के कारण हर साल देश में हो रहे 5 लाख रोगी मौत का शिकार
नई दिल्ली। देश में हर साल कैंसर के कारण 5 लाख लोग मौत के शिकार हो रहे हैं। हर साल मुंह और गले के कैंसर से पीड़ित 10 लाख रोगी सामने आ रहे हैं। जिसमें से आधे से अधिक रोगी कैंसर का शिकार हो जाते हैं। इनकी बीमारी की पहचान होने तक उनकी मौत हो जाती है। वायस ऑफ टोबैको विक्टिमस ने एशियन पेसिफिक जनरल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन द्वारा जारी रिपोर्ट के आधार पर ये खुलासा किया है। वायस ऑफ टोबैको विक्टिमस के संरक्षक डां टी पी साहू ने बताया कि देशभर में लाखों लोगों में देर से इस बीमारी की पहचान अपर्याप्त इलाज व अनुपयुक्त पुनर्वास सहित सुविधाओं का अभाव है। करीब 30 साल पहले तक 60 से 70 साल की उम्र में मुंह और गले का कैंसर होता था लेकिन अब ये उम्र कम होकर 30 से 50 साल तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि आजकल 20 से 25 वर्ष की उम्र से भी कम के युवाओं में मुंह व गले का कैंसर देखा जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण हमारी सभ्यता में पश्चिमी सभ्यता के समावेश तथा युवाओं में स्मोकिंग को फैशन व स्टाइल आइकॉन मानना है। मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
भारत में विश्व की तुलना में धुआंरहित चबाने वाले तंबाकू उत्पाद (जर्दा, गुटखा, खैनी) का सेवन सबसे अधिक होता है। यह सस्ता और आसानी से मिलने वाला नशा है। पिछले दो दशकों में इसका प्रयोग बढ़ा है, जिस कारण भी सिर व गले के कैंसर के रोगी बढ़े हैं।
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