अमेरिका में मिला सुपरबग, नहीं है कोई दवाई
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अमेरिका को हाल ही में एक ऐसे सुपरबग के बारे में पता चला है जिसकी अमेरिका के पास कोई दवाई नहीं है। अमेरिका में एक ऐसे भारतीय सुपरबग का पता चला है जिस पर किसी भी ऐंटीबायॉटिक का असर नहीं होता। डॉक्टरों ने इसे न्यू डेली मेटालो-बीटा-लेक्टामेस नाम दिया है। 70 साल की एक संक्रमित मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों ने इसका पता लगाया है।
नहीं है कोई दवाई
हाल ही में एक 70 वर्षीय अमेरिकी महिला की मौत हुई। यह महिला दो साल पहले अपने थाइ बोन फ्रैक्चर का इलाज कराने दिल्ली आई थी। अब डॉक्टर्स ने महिला के घाव के नमूनों से यह पुष्टि की है कि उसके अंदर न्यू डेली मैटालो-बीटा-लैक्टमेस नाम का सुपरबग पाया गया। टेस्ट से यह भी पता लगा है कि पूरे अमेरिका में इस इन्फेक्शन के इलाज के लिए दवाई नहीं है।
भारत का बताया जा रहा है सुपरबग
इस खोज ने मेडिकल प्रफेशनल्स को इसलिए परेशान कर दिया है क्योंकि जो सुपरबग महिला में पाया गया उस पर ऐंटीबायॉटिक्स का असर नहीं करते। अटलांटा की लैबरेटरी सीडीसी के मुताबिक यह महिला कई बार भारत के अस्पताल में भर्ती हुई और आखिरी बार जून 2016 में आई थी। अमेरिका लौटने के कुछ समय बाद अगस्त महीने में निवाडा के एक हॉस्पिटल में महिला को भर्ती कराया गया। लेकिन महिला को सेप्टिक हुआ और सितंबर में उसकी मौत हो गई।
2008 में मिला था पहला सुपरबग
सीडीसी के मुताबिक पीड़ित महिला के घाव के नमूनों से यह पता लगा कि जो सुपरबग उसमें पाया गया वह 26 ऐंटीबायॉटिक्स के लिए प्रतिरोधक है। साल 2008 में भारतीय मूल की स्वीडिश महिला में यह सुपरबग पहली बार पाया गया था। डॉक्टर्स को डर है कि ऐंटीबायॉटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल इस तरह के और सुपरबग को जन्म दे सकता है। इस सुपरबग का शिकार अधिकतर कैंसर के मरीज, सर्जरी कराने वाले मरीज, टीबी के मरीज या फिर ऑर्गन-हड्डी ट्रांसप्लांट कराने वाले लोग होते हैं।
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