ब्रिक्स सम्मेलन में हमारे पीएम नरेंद्र मोदी पाकिस्तान जनित आतंकवाद की निंदा करवाने में सफल हुए। इसमें पाकिस्तान का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया गया है, लेकिन उसकी जमीन से जो संगठन काम करते हैं, उनका साफतौर पर जिक्र हुआ। यह भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। क्योंकि तमाम ब्रिक्स देशों की इस घोषणा पत्र में सहमति होती है। इसका अन्य विदेशी मंचों पर असर पड़ेगा जहां-जहाँ भारत ने दुनिया को बताया कि किस तरह पाकिस्तान की धरती से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पाक की ज़मीं से दहशत फ़ैलाने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ घोषणापत्र
इस घोषणापत्र में साफ़ तौर पर कहा गया है कि कहीं भी किसी भी तरह और किसी का आतंकी हमला मंजूर नहीं और किसी भी तरह का आतंकवाद जायज़ नहीं है। नाम लेकर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान की निंदा की गई है। इसमें अलकायदा, हक्कानी और IS की भी निंदा की गई। इस घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को जवाबदेह ठहराना ज़रूरी है। आतंकवाद के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय सहयोग ज़रूरी है और आतंकी संगठनों की वित्तीय मदद रोकी जाए।
मोदी और शी ने यह कहा अपने उद्बोधन में
ब्रिक्स की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में भी यह कहा कि शांति और विकास के लिए सहयोग जरूरी है। एकजुट रहने पर शांति और विकास संभव है। उन्होंने कहा कि हमारे देश का युवा होना हमारी सबसे बड़ी ताकत है।भारत ने काले धन के खिलाफ जंग छेड़ी है। गरीबी से लड़ने के लिए स्वच्छता अभियान चलाया। हम स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।पीएम मोदी ने आगे का कि ब्रिक्स में पांचों देश एक बराबर हैं। ब्रिक्स बैंक ने कर्ज देना शुरू किया है, इससे 5 सदस्य देशों को फायदा होगा। वहीं शी चिनफिंग ने कहा कि हम सभी देशों के एक ही आवाज में सभी की समस्याओं को लेकर बोलना चाहिए, ताकि विश्व में शांति और विकास आगे बढ़ सके। मौजूदा समय में दुनिया के हालात को देखते हुए, ब्रिक्स देशों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।