ऑटो ड्राइवर बना लखपति, ऐसे बनाई खुद की कंपनी और लोगों को दिया रोजगार
जरा सोचिए कि एक ऑटो ड्राइवर ज़िन्दगी के किस मुकाम पर पहुंच सकता है। उसकी ज़िन्दगी, ज़िन्दगीभर उसी रिक्शे के इर्द-गिर्द घूमती रहती है और ज़िन्दगी के आखिर तक उसी रिक्शे से बंधकर रह जाती है। लेकिन क्या कोई रिक्शेवाला लखपति बन सकता है क्या वो खुद की कंपनी खोल सकता है शायद नहीं लेकिन ऐसा हुआ है।
सुनने में ये किसी फिल्मी कहानी के जैसा लगता है लेकिन ये किसी इंसान की रीयल लाइफ की कहानी है। ये कहानी है राजस्थान के गांव में रहने वाले अमर सिंह की जो पहले रिक्शा चलाकर अपना गुजारा किया करते थे लेकिन उनकी लाइफ में अब ऐसा चेंज हुआ कि उन्होंने खुद की एक कंपनी खड़ी कर ली और आज वे कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
अमर सिंह की स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी और उन्होंने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया कई दिनों तक रिक्शा चलाया लेकिन अब वो अमर फूड प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के मालिक है। इस कंपनी का टर्नओवर 26 लाख रूपए है और ये कंपनी 15 लोगों को रोजगार दे रही है। आइए आपको बताते है अमर सिंह की सक्सेस स्टोरी…
अमर सिंह पहले रिक्शा चलाते थे। कुछ सालों पहले उन्होंने 1200 रूपए के इनवेस्टमेंट से अपने खेतों में आंवले के पेड़ बो दिए थे इसी के साथ-साथ अमर सिंह रिक्शा भी चलाते थे। इन पेड़ों को बड़ा होने में कई साल लग गए लेकिन अब इन पेड़ों की मदद से ही अमर सिंह ने खुद की कंपनी खड़ी कर ली।
राजस्थान के कुम्हेर ब्लॉक के सम्मन गांव में अमर सिंह एक बेहतरीन एंटरप्रेन्योर बनकर उभरे है। अमर सिंह अभी 57 साल के है और खेती के इस बिजनेस में वे काफी सफल किसान बनकर उभरे है। ‘द वीकेंड लीडर’ को दिए इंटरव्यू में अमर सिंह ने बताया कि पहले वो रिक्शा चलाते थे और रोज 500 रूपए तक कमा लेते थे।
1984 में वे अपने मामा के घर अहमदाबाद में आ गए और वहां मामा की मदद से एक फोटो स्टूडियो शुरू किया। उस समय अमर सिंह की माताजी खेती किया करती थी जिसमें दूसरे लोग उनके खेतों में काम करते थे लेकिन काम मे धोखेबाजी के कारण उनकी माता ने अमर सिंह को अपने पास बुला लिया और खेती संभालने को कहा।
अपने गांव वापस आकर अमर सिंह ने एक वैन खरीदी और लोगों को यहां से वहां छोड़ने का काम शुरू किया। एक दिन उनके हाथ में अखबार का एक टुकड़ा आया जिसमें आंवले के गुण के बारे में लिखा था। आंवले के गुण को पढ़कर उनके दिमाग में आया कि क्यों ने उनके खेत में आंवले की खेती की जाए।
इसके बाद उन्होंने खेत में आंवले की खेती शुरू की। इसमें उन्होंने भरतपुर हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की मदद ली। अपने खेत में लगभग 20 रूपए प्रति पौधे की लागत से आंवले के पौधे बो दिए। चार से पांच साल के बाद आवंले के पौधे बड़े हुए और इनसे फल आना शुरू हुए। जब आंवले पेड़ से आए तो अमर सिंह ने इनका मुरब्बा बनाना शुरू किया।
मुरब्बा बनाने के लिए अमर सिंह ने ‘अमर फूड प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की। आज इसीं कंपनी का टर्नओवर 26 लाख रूपए है। एक सामान्य से दिखने वाले आदमी का एक छोटा सा आइडिया आज एक अच्छी कमाई का साधन बन गया है और कई लोगों को रोजगार भी दे रहा है।
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