इस दिलचस्प वजह के कारण मकर संक्रांति पर उड़ाई जाती हैं पतंगे
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मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परम्परा लम्बे समय से चली आ रही है। कभी न कभी आपने भी अपने दोस्तों या भाई-बहनों के साथ पतंग उड़ाई होगी। लेकिन क्या आपको पता है कि मकर संक्रांति यानी कि आज ही के दिन पतंग क्यों उड़ाई जाती है? चलिए हम ही आपको बता देते है कि पतंग उड़ाने के पीछे क्या लॉजिक है और इसके पीछे की कहानी क्या है?
…तो आपको सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि पतंग अस्तित्व में कैसे आई
-जानकारों की माने तो पतंग का आविष्कार ईसा पूर्व चीन में हुआ था। वहीं भारत में पतंग परंपरा की शुरुआत शाह आलम के समय 18 वीं सदी में हुई थी।
-वैसे भारतीय साहित्य में पतंगो की चर्चा 13वीं सदी से ही की गयी है। मराठी संत नामदेव ने अपनी रचनाओं में पतंग का जिक्र किया है।
-आपको यह जानकर खुशी होगी कि पतंग का त्योहार न सिर्फ़ भारत में बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है। भारत के अलावा पतंग उड़ाने की परम्परा चीन, इंडोनेशिया, थाइलैंड, अफगानिस्तान, मलेशिया और जापान जैसे एशियाई देशों में भी लम्बे समय से चली आ रही है। इसके साथ ही अमेरिका, फ्रांस, स्विटजरलैंड, हालैंड और इंग्लैंड जैसे देशों में भी पतंग का यह उत्सव मनाया जाता है।
इसीलिए मकर संक्रांति पर उड़ाई जाती है पतंग
-पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, पतंगे कागजी परिंदे हैं जो दिल की धड़कनों को डोर के सहारे आसमान में लहराते हैं। जब पतंग उड़ाने की शुरुआत हुई तो उस समय जापान के लोगों ने माना कि, पतंग ही वह डोर है जो धरती को स्वर्ग से जोड़ती है। वहीं चीन के लोगो का विश्वास था कि यदि पतंग को उड़ाकर छोड़ दिया जाए तो उनका दुर्भाग्य आसमान में गुम हो जायेगा। इसके साथ ही चीन के लोगों का मानना था कि यदि कोई कटी हुई पतंग उनके घर में प्रवेश करेगी तो यह उनके लिए शुभ होगा।
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