भारत-पाक जंग में दोनों ही देशों ने झेली भीषण बर्बादी
भारत पाक में हुई तीन जंग, दोनों ने इतना कुछ खोया कि उबरने में लग गए कई साल
जब से पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा जम्मू कश्मीर के उरी में हमला हुआ है तब से ही भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ सीधी सैन्य कार्यवाही करने का दबाव है। हर भारतवासी पाकिस्तान से उरी में शहीद हुए 18 जवानों की मौत का बदला चाहता है। हर भारतवासी चाहता है कि हमारे जवानों का शहादत खाली न जाए। लेकिन युद्ध की चाह रखने से पहले कुछ सवाल हमें खुद से भी पूछने चाहिए। क्या वाकई युद्ध करने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा? क्या हमारे जवानों की पत्नियां, उनका परिवार इसके लिए तैयार हैं? पाकिस्तान से हुई हर जंग इस बात का सबूत देती है कि युद्ध से कितना नुकसान होता है। बात सिर्फ भारत की ही नहीं है बल्कि हर उस देश के नुकसान की है जो युद्ध में हिस्सा लेते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक 3 युद्ध हो चुके हैं और तीनों युद्ध में भारत और पाकिस्तान के 22 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। युद्ध कभी खुशियां नहीं देते। युद्ध की चाह रखने से पहले हमें एक बार पिछले युद्ध के नतीजों पर भी नज़र डाल लेनी चाहिए और उनसे सीख लेकर ही आगे कोई कदम उठाना चाहिए।
1971 का युद्ध
1971 में हुआ भारत-पाकिस्तान का युद्ध बांग्लादेश की रिहाई के लिए लड़ा गया था। 1970 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने 169 में से 167 सीटों पर जीत दर्ज की और शेख मुजीबुर रहमान ने संसद में सरकार बनाने की पेशकश की। मगर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसका विरोध किया और हालात इतने गंभीर हो गए कि राष्ट्रपति को सेना बुलवानी पड़ी। फौज में शामिल अधिकतर लोग पश्चिमी पाक के थे। पूर्वी पाक की सेना को यहां हार का सामना करना पड़ा और शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। बस यहीं से यद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
क्या हुआ नुकसान – 1971 की लड़ाई मात्र 13-14 दिनों तक चली। बांग्लादेश के ढाका में करीब 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के आगे हथियार डाल दिए। लड़ाई में दो हजार भारतीय सैनिक और छह हजार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का नए देश के रूप में जन्म हुआ। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में मारे गए लोगों की संख्या 5 लाख से 10 लाख के बीच मानी जाती है। वहीं लाखों लोग विस्थापित हुए थे। दोनों सेनाओं के बीच सीधा युद्ध बहुत कम देर चला लेकिन पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान समर्थक लड़ाकों पर बांग्लादेशी की हजारों महिलाओं के संग बलात्कार का आरोप लगा। बांग्लादेश से पलायन करके भारत के विभिन्न इलाकों में शरणार्थी कभी भी पूरी तरह वापस नहीं जा सके। पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में बांग्लादेशी शरणार्थी आज भी राजनीतिक मुद्दा हैं। अगली स्लाइड में जानिए 1965 में हुए युद्ध के नुकसान –