एक बार फिर इतिहास रचने चली हैं इरोम शर्मिला
कौन है इरोम शर्मिला?
इरोम शर्मिला एक ऐसा नाम जिससे शायद ही कोई अंजान हो। दरअसल इरोम चानू शर्मिला उस महिला का नाम है जो अपने अधिकार और आजादी के लिए तकरीबन 16 सालों तक अफस्फा और सेना के अत्याचारों के ख़िलाफ़ शांति से लड़ती रहीं। तो जानिए इस आयरल लेडी के बारे में ख़ास बातें।
पड़ोसियों ने की है इरोम की परवरिश
इरोम का जन्म 14 मार्च 1972 में हुआ था। इरोम अपने 9 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। लेकिन उनका बचपन अकेले ही बीता। कहा जाता है कि शर्मिला की परवरिश उनके पड़ोसियों के हाथों हुई है। बचपन से ही इरोम का पढ़ाई-लिखाई के प्रति ज़्यादा रूचि नहीं थी। इसीलिए उन्होंने सिर्फ़ 12वीं क्लास तक पढ़ाई की है।
दादी को रोल मॉडल मानती हैं इरोम
इरोम अपनी दादी के काफ़ी करीब थीं। इसीलिए वह उनको अपना रोल मॉडल मानती थीं। साल 2008 में इरोम की दादी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इरोम के संबंध में एक दिलचस्प बात यह भी है कि वह शाकाहारी हैं। जबकि उनका परिवार मांसाहारी रहा है।
बचपन से ही समाजसेवा की भावना जगी थी इरोम में
कहा जाता है कि इरोम जब छोटी थीं तब से ही उनके मन में समाजसेवा की भावना गई थी। वह मुर्गियां पालकर उनके अंडे बेचकर इन पैसों को एक स्थानीय स्कूल में दान कर देती थीं। वैसे इरोम ने मणिपुर के एक स्थानीय न्यूज़ पेपर में काम करने के दौरान अन्याय के ख़िलाफ़ अपनी आवाज बुलंद की थीं। वह अक्सर धरना-प्रदर्शन और रैलियों में हिस्सा लेती थीं।
28 साल की उम्र में शुरू किया था अनशन
2 नवम्बर 2000 को इरोम ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाए जाने की मांग पर भूख हड़ताल शुरू की थीं। इस भूख हड़ताल के तीसरे दिन सरकार ने इरोम शर्मिला को गिरफ़्तार कर लिया था। उन्होंने जब भूख हड़ताल की शुरुआत की थी, वे 28 साल की युवा थीं। आज उनकी उम्र 44 साल है।
जिस वक्त इरोम ने आमरण अनशन पर रहने का फ़ैसला किया था तो उस समय कुछ लोगों को लगा था कि इरोम ने यह कदम इमोशनल होकर उठाया है। लेकिन इरोम ने सभी को ग़लत साबित कर दिया। समय के साथ उनके संघर्ष की कहानी लोगों के सामने आ गई।
इरोम के नाम पर दर्ज है रिकार्ड
इरोम के नाम पर अब तक दो रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। पहला सबसे लंबी भूख हड़ताल करने और दूसरा सबसे ज्यादा बार जेल से रिहा होने का। इतना ही नहीं साल 2014 में एमएसएन ने उन्हें वूमन आइकन ऑफ इंडिया के ख़िताब से भी नवाज़ चुकी है।
इतने लम्बे संघर्ष के दौरान भी इरोम का जिन्दगी के प्रति सकारात्मक रवैया रहा है। वह कहती हैं,”मैं जिंदगी से प्यार करती हूं। मैं अपनी जिंदगी खत्म करना नहीं चाहती हूं लेकिन मुझे न्याय और शांति चाहिए।”
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