दुनियाभर में दबाई जा रही मीडिया की आवाज, 13 सालों में ऐसे बिगड़ी हालत
प्रेस और मीडिया आपको इस दुनिया के हर कोने की ख़बरें दिखाता हैं। आपको देश-दुनिया में हो रही घटनाओं, नई-नई तकनीकों से अवगत कराता है लेकिन हाल ही में एक सर्वे हुआ है जिसमें आया परिणाम काफी चिंताजनक हैं। इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में मीडिया की आवाज को दबाया जा रहा है।
अमेरिका स्थित एक मानवधिकार संगठन फ्रीडम हाउस के सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ कि प्रेस की आजादी 13 साल के निचले स्तर पर है। दुनिया भर में मीडिया और असंतोष की आवाज को दबाया जा रहा है। इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाली जेनिफर डनम ने कहा, ’संयुक्त राष्ट्र, पोलैंड, फिलिपींस और दक्षिण अफ्रीका समेत कई लोकतांत्रिक देशों में राजनेताओं और अन्य विभाजनकारी ताकतों ने आजाद मीडिया और तथ्य आधारित पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर हमला किया। इस तरह से उनलोगों ने एक आजाद सोसायटी में प्रेस की पारंपरिक निगरानी रखने वाली भूमिका को रिजेक्ट कर दिया है।’
199 देशों पर स्टडी
यह स्टडी 2016 में 199 देशों पर की गई है। इस स्टडी के मुताबिक, दुनिया की महज 13 फीसदी आबादी को ’स्वतंत्र प्रेस’ की सुविधा है जहां पत्रकारों को सुरक्षित माहौल मिला हुआ है और मजबूत तरीके से न्यूज कवर करते हैं। 42 फीसदी लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां प्रेस को आंशिक आजादी मिली हुई है और 45 फीसदी लोग उन देशों में रहते हैं, जहां मीडिया के लिए आजाद माहौल नहीं है।
72 देशो में खतरें में है प्रेस की आज़ादी
इसी तरह की एक रिपोर्ट फ्रांस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने भी जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 72 देशों में प्रेस की आजादी गंभीर खतरे का सामना कर रही है। इस रिपोर्ट में प्रेस की आजादी के मामले में संयुक्त राज्य, ब्रिटेन एवं अन्यों की रैंकिंग कम कर दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य में ट्रंप के सत्ता में आने से पहले ही प्रेस की स्वतंत्रता कम होने लगी थी। इसका मुख्य कारण न्यूज इंडस्ट्री का आर्थिक संकट और न्यूज ऑर्गनाइजेशन में तेजी से बढ़ता पक्षपात है। फ्रीडम हाउस के मुताबिक, ट्रंप के आने से स्थिति और खराब हुई है। वह न्यूजों को फर्जी कहकर उस पर हमला करते हैं और न्यूज मीडिया को लोगों का दुश्मन बताते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ’इस तरह की टिप्पणियों से प्रेस की आजादी के बुनियादी सिद्धांतों और उद्देश्यों प्रभावित होते हैं।’ इसके अलावा जब एक देश में मीडिया पर हमला होता है तो अन्य देश भी उसका अनुसरण करते हैं। फ्रीडम हाउस के मुताबिक, ’खासकर रूस अन्य देशों में न्यूज एवं सोशल मीडिया कॉन्टेंट के साछ छेड़छाड़ कर इस स्थिति का फायदा उठा रहा है।
प्रेस की आजादी उत्तरी कोरियो, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान में बहुत ही दयनीय हालत में है। तुर्की में भी प्रेस की आजादी काफी प्रभावित हुई है। चीन, इथोपिया, ईरान और सीरिया में पत्रकारों की निगरानी आम बात है। इसका मकसद मीडिया को धमकाना और अहम कवरेज को दबाना है। पोलैंड में भी मीडिया के प्रति सरकार की असहिष्णुता बढ़ी है। फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में जिन देशों में प्रेस की आजादी को थोड़ी सही स्थिति में बताया गया है, उनमें अफगानिस्तान, पनामा, श्री लंका और फिजी शामिल हैं। प्रेस को जिन देशों में पूरी आजादी हासिल है, उन देशों में नॉर्वे, नीदरलैंड्स और स्वीडन शामिल हैं।
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