Saturday, September 16th, 2017 22:55:43
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रेमंड में मीडिया युद्ध, सिंघानिया दे रहे आम लोगों को भी नसीहत




रेमंड में मीडिया युद्ध, सिंघानिया दे रहे आम लोगों को भी नसीहतBusiness

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रेमंड ग्रुप के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे गौतम सिंघानिया से सुलह करने के संकेत दिए हैं, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने बेटे के प्यार में अंधे हो गए थे, जिसकी वजह से उन्होंने अपना सब कुछ उसके नाम कर दिया। बता दें कि विजयपत सिंघानिया ने आरोप लगाए थे कि उनके बेटे ने उन्हें एक-एक पैसे के लिए मोहताज बना दिया है और उन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा है। अब इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए विजयपत ने कहा है कि अपने बेटे से चल रहे स्वयं के मतभेदों को दूर करना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए उन्होंने सेटलमेंट की मांग की है और कहा है कि उनके पास देने के लिए कुछ नहीं बचा है। उधर उनके बेटे गौतम सिंघानिया ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि उन्हें यकीन है कि उनके पिता को निहित स्वार्थों के लिए बहकाया गया है, इसलिए वे आमने-सामने बैठ कर हर मुद्दे पर बात करना चाहते हैं।

बेटे का जवाब

गौतम ने आगे यह भी कहा कि अपने पिता की हालत को देखकर उन्हें दुःख हुआ है, उन्होंने पिता से बातचीत की कोशिश की लेकिन वे मुलाकात के लिए नहीं आए। दक्षिण मुंबई स्थित अपने किराए के कमरे में रहने वाले विजयपत ने कहा कि यह बेटे के प्रति उनका प्यार था कि कंपनी के अपने सभी शेयर उसके नाम कर दिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे सुलह की बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

फिर पिता का सवाल

रेमंड लिमिटेड से रिटायर होने के बाद विजयपत (78) को सेवामुक्त चेयरमैन का पद दिया गया था। उन्होंने कहा कि अगर गौतम भगवान तिरुपति बालाजी की कसम खाए तो वे कोर्ट में दायर केस वापस लेने का मन बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे कोर्ट में आता है, भगवान तिरुपति की तस्वीर पर हाथ रखता है, और कहता है कि जो मैं कह रहा हूं, वह झूठ है तो मैं केस वापस ले लूंगा। उसका बालाजी में गहरा विश्वास है और मेरा भी। उन्होंने कहा कि मैं इस बयान के जरिए काफी खतरा मोल ले रहा हूं और देखना चाहता हूं कि गौतम में कितनी हिम्मत है और वह कितना धार्मिक है? वह ऐसा कर सकता है, लेकिन मेरा विश्वास और विवेक कहता है कि वह ऐसा नहीं करेगा।

दोनों के सवालों और जवाबों का टकराव

वहीं उनके बेटे गौतम सिंघानिया ने कहा कि उनके पिता पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन विजयपत का कहना है कि ऐसा करने पर उन्हें गर्व है। गौतम ने कहा कि मुझे अपनी बात रखने के लिए मीडिया की जरूरत नहीं है, इसलिए मैं कोर्ट जाने से पहले केस के बारे में बात नहीं करूंगा क्योंकि मामला विचाराधीन है। लेकिन यह जरूर कहूंगा कि मैं अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं। विजयपत की ओर से गौतम सिंघानिया पर लगाया गया एक आरोप यह भी है कि उन्हें किराए के मकान के लिए सात लाख रु. नहीं दिए जा रहे जो कि समझौते का ही हिस्सा हैं। वहीं गौतम ने जोर देकर कहा कि उनके मन में पिता के लिए कोई विद्वेष नहीं है। उन्होंने सफाई दी कि वे पिता को जे. के. हाउस इसलिए नहीं दे पाए क्योंकि कंपनी के शेयरहोल्डर्स ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दी थी।

पिता ने स्वीकारी अपनी एक बड़ी भूल

विजयपत सिंघानिया ने माना कि बेटे को कंपनी का पूर्ण नियंत्रण देना उनकी सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने कहा कि मेरी इस भूल ने मेरे बेटे के किरदार को उजागर कर दिया। ताकत किसी का किरदार नहीं बदलती, बल्कि उसे खोल देती है। उन्होंने गौतम का नाम लिए बिना कहा कि किसी कारण से अपना असली किरदार छुपाते हैं, जैसे ही आपके पास पैसे की ताकत आती है तो ‘मैं कुछ भी खरीद सकता हूं’ वाला आपका अभिमान सामने आ जाता है। विजयपत ने आगे कहा कि भावुकता में आकर एक कमजोर क्षण में उन्होंने सारे शेयर गौतम सिंघानिया को ट्रांसफर कर दिए। उन्होंने कहा कि हम परिवार से प्यार करते हैं। लेकिन हम अपने बच्चों के प्रति एक कमजोरी पैदा कर लेते हैं, और इस कमजोरी के ही किसी पल में मैंने अपना सब कुछ दे दिया।

और दे डाली आमजन को भी सलाह

विजयपत सिंघानिया ने आम जान को सलाह देते हुए कहा कि जीवित रहते अपनी सारी संपत्ति बच्चों के नाम मत करिए। हो सकता है 10 में से कोई एक अच्छा निकले, या हो सकता है उनमें से 6 ख्याल रखने वाले और निस्वार्थी हों, लेकिन सभी एक जैसे नहीं होंगे। उनमें से कोई एक कुल का कलंक हो सकता है, जो भूल जाएगा कि पिता ने उसके लिए क्या किया था? और अपने असली रंग दिखा देगा।

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