मोदी सरकार ने मांगी राय, वित्त वर्ष 1 अप्रैल से हो या 1 जनवरी से
देश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बड़ा बदलाव करने जा रहे है। इस बदलाव के अनुसार मोदी अंग्रेजों के समय से चले आ रहे वित्त वर्ष के कैलेंडर को बदलने की फिराक़ में है। इसका मतलब ये है कि अब वित्त वर्ष (फाइनेंसियल ईयर) 1 अप्रैल से नहीं बल्कि 1 जनवरी से शुरू होगा। बता दें कि सरकार ने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है। अभी तक केंद्र और राज्य सरकारें 1 अप्रैल से 31 मार्च तक कि वित्त वर्ष मानती थी और उसी के अनुसार योजनाएं तय करती थी। अब सरकार ने इस नियम को बदलने का मन बना लिया है। हर बार की तरह इस बार भी मोदी सरकार ने इस बदलाव के लिए पर आम नागरिक को शामिल किया है। मोदी ने mygov.in पर लोगों से राय मांगी हैं।
बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब वित्त वर्ष में बदलाव के लिए मुद्दा उठा हो। करीब 30 साल पहले भी ये मांग उठ चुकी थी। सन् 1985 में एल.के.झा समिति ने इस बारे में मूल्यांकन किया था। लेकिन उस समय की सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से मना कर दिया था।
फिलहाल वित्त वर्ष को बदलने और नहीं बदलने के लिए तमाम प्रकार के तर्क दिए जा रहे है। जैसे सरकार द्वारा बजट एवं नकद प्रबंधन ,सरकारी राजस्व एवं खर्च की अवधि, बजट पूर्वानुमान पर मानसून का प्रभाव, कार्य अवधि , संसद द्वारा बजट को पास करने में लगने वाली समयावधि ,अंतराष्ट्रीय वित्तीय आंकड़ों से तुलना आदि जैसे मुद्दे है।
बता दें कि 1 अप्रैल से वित्त वर्ष की शुरूआत सन् 1867 से हुई थी। उस समय भारत पर अंग्रजों का ही राज चलता था। तब से लेकर अब तक इस नियम को ही मना जा रहा है। हालांकि 150 साल इस प्रक्रिया पर सबसे पहले 1984-85 में सवाल उठे थे । और अब सरकार इस पर फिर से विचार करने जा रही है। गौरतलब है कि मोदी सरकार पहले ही अगले वित्त वर्ष से रेलवे बजट को आम बजट में शामिल करने का फैसला ले चुकी है। और इस तरह मोदी सरकार ने अलग से रेल बजट को पेश करने की परंपरा को अलविदा कह दिया।
अब मोदी ने mygov.in फोरम पर लोगों से सुझाव मांगे हैं। फोरम की एक घोषणा में कहा गया है कि ”हम समिति के संदर्भ की शर्तो और इससे संबंधित मुद्दों पर आपकी टिप्पणियों ,सुझावों , सूचनाओं एवं कागजातों का स्वागत करते हैं। कृपया इसे 30 सितंबर के पहले मुहैया कराये।” बता दें कि मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. शंकर आचार्य के नेतृत्व में एक समिति गठित की गई है। यह समिति ही नए वित्त वर्ष शुरू करने के हर पहलुओं पर विचार करेगी और जांच करेगी। शंकर आचार्य समिति को इस पर इसी साल दिसम्बर तक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इस समिति में पूर्व केबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर तमिलनाडु के पूर्व मुख्य वित्त सचिव पी.वी राजारमण औरसेंटर ऑफ पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ फेलो डॉ. राजीव कुमार को शामिल किया गया है।