30,000 रुपए से ज्यादा कैश लेनेदेन पर जरुरी हो सकता है पैनकार्ड
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मोदी सरकार ने नोटबंदी और कैश निकासी पर पाबंदी को हटाना नहीं चाहतीं है। क्योंकि इससे सरकार कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देना चाहती है। नोटबंदी के बाद से सरकार ने जो कैशलेस अर्थव्यवस्था की जो गति हासिल की है, अब इसमें किसी भी प्रकार की ढ़िलाई सरकार नहीं देना चाहती है। इसके लिए सरकार बजट में एक बड़ी घोषणा कर सकती है। दरअसल सरकार की योजना है कि पैन कार्ड के माध्यम से कैश-लेन देन की सीमा में कटौती की जाएं। ताकि देश की जनता डिजिटल पेमेंट का उपयोग करे।
मोदी सरकार कैश ट्रांजैक्शन को कम करने के लिए कुछ नए कदम उठा सकती है। सूत्रों की मानें तो सरकार नगद लेन-देन में पैन नंबर देने की सीमा में कमी कर सकती है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में 50 हजार रुपए से अधिक के नगद लेन- देन पर पैन लिया जाता है। लेकिन सरकार इस सीमा को 30 हजार रुपए तक कर सकती है। इसकी घोषणा मोदी सरकार आगामी बजट में कर सकती है।
इसके अलावा सरकार तय लिमिट से ज्यादा कैश के जरिए लेन-देन पर कैश-हैंडलिंग चार्ज भी लगा सकती है। ताकि लोगों की कैश रखने की आदत पर रोक लगाया जा सके। इन कदमों से सरकार कैश लेनदेन को सीमित कराना चाहती है ताकि लोग डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे और सरकार के प्रयास को रंग दिया जा सके। दरअसल सरकार को चिंता है कि बैंकों और एटीएमों से कैश निकालने की सीमा बढ़ाने से लोग एक बार फिर नगद लेनदेन का उपयोग शुरु ना कर दे।
सरकार को यह सारे कदम कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए जरूरी हैं। क्योंकि बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति और डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण लोग पेमेंट को एप और पीओएस मशीनों के माध्यमों से पेमेंट करने से कतराते है। साथ ही घटिया इंटरनेट स्पीड और डिजिटल पेमेंट का कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर भी लोगों को नकदी लेन-देन करने पर मजबूर करता है।