ब्रिटिश काल के इस चित्रकार की कला लिम्का बुक में भी हैं दर्ज
राजा रवि वर्मा वो नाम है जिन्होंने भारतीय कला को एक अलग पहचान दी। कला के क्षेत्र में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है, इनके ही चित्रों के जरिए लोग हिन्दू महाकव्य और धर्मग्रन्थ से जुड़ पाए। इस महान चित्रकार ने भारतीय संस्कृति को अलग पहचान दी। ब्रिटिश शासन में अपने विचारों को राजा रवि वर्मा ने ही चित्रों का रुप प्रदान कर लोगो को चौंका दिया था। भारतीय चित्रकारों में सबसे पहले रवि वर्मा का ही नाम आता हैं। महान चित्रकार राजा रवि वर्मा कि आज जन्मतिथि है, आप सभी को ये जान कर हैरानी होगी कि इनकी कला के चर्चे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में भी दर्ज हैं-
देश भ्रमण कर चित्रों को उकेरा कैनवास में
राजा रवि वर्मा का अपनी कला के प्रति अत्यंत गहरा प्रेम था। एक बार उनसे किसी ने पूछा कि तुम जिन चित्रों को बनाते हो क्या उन्हें तुमने देखा है, राजा पर इस बात का गहरा असर पड़ा और वे पूरे भारत की यात्रा पर निकल गए। लंबी यात्रा के बाद उन्होंने सभी दृश्यों को अपने कैनवास पर उकेर दिया। रंगों के साथ उनकी कला का ऐसा जादू चलता था कि हर कोई उनका दीवाना हो जाता था।
इनकी मुख्य कलाकृतियां
राजा रवि वर्मा ने चित्रकला की शिक्षा मदुरै के चित्रकार नायडू और विदेशी चित्रकार श्री थियोडोर जेंसन से ली, जो भारत भ्रमण पर आए थे। दोनों यूरोपियों शैली के कलाकार थे, जिस वजह से वर्मा कि कला में दोनों का मिश्रण नजर आता है। इनकी प्रचलित कलाकृतियों में विचारमग्न युवती, दमयंती, हंसा संभाषण, संगीत सभा, अर्जुन व सुभद्रा, शकुन्तला, स्त्री देवी, देवता, द्रौपदी का सत्वहरण, राधामाधव, सरस्वती, लक्ष्मी जैसे कई चित्र शामिल हैं।
लिम्का बुक में दर्ज इनके नाम रिकॉर्ड
राजा वर्मा की कलाकृति आज भी हम सभी से जुड़ी हुई है। उनकी ही देन हैं, कि हम चित्रों से परिचित हो पाए। यहीं नहीं, विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नकल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों और धातुओं से जड़ी 40 लाख रुपए की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल किया गया है।
राजा वर्मा की कला का हुआ था विरोध
कला के क्षेत्र में उनके योगदान को लोग आज भी याद करते हैं। हालांकि उनकी कला को कई बार अपमानित भी होना पड़ा। पहली बार जब राजा रवि वर्मा ने भारतीय संस्कृति से जुड़े महान ग्रंथों को चित्रों में उकेरा, तब लोगों ने उसका विरोध किया। लोगों का मानना था कि ईश्वर कि प्रतिमा या तस्वीर को मंदिर में ही होना चाहिए। समय के साथ लोगों की सोच में बदलाव आने के बाद सभी उनकी कला कि तारिफ करने लगे।
सबसे महंगी कलाकृति
अक्टूबर 2007 में इनकी बनाई गई ऐतिहासिक कलाकृति, जिसमें ब्रितानी राज के उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाकात को चित्रित किया गया था, वो तस्वीर 1.24 मिलियन डॉलर में बिकी। फिल्म निर्माता केतन मेहता ने राजा रवि वर्मा के जीवन पर आधारित फिल्म बनाई है। जिसमें रवि वर्मा का किरदार रणदीप हुड्डा ने निभाया था, फिल्म की खास बात यह थी कि इसे हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में एक साथ बनाया गया था। अंग्रेजी में इस फिल्म का नाम “कलर ऑफ पैशन्स” और हिन्दी में “रंग रसिया” रखा गया। इस फिल्म के जरिए एक बार फिर लोग रवि वर्मा की प्रतिभा को जान पाएं। 1940 में ब्रिटिश राजा सम्राट की ओर से इन्हें “कैसर ए हिन्द” का गोल्ड मेडल प्रदान किया गया था। केरल के निवासी होने कि वजह से केरल सरकार ने इनके नाम पर” राजा रवि वर्मा पुरसाराम” नामक पुरस्कार कि स्थापना की। यह पुरस्कार कला और संस्कृति के क्षेत्र में हर साल बेहतर कला प्रदर्शन करने वाले को दिया जाता है।
- - Advertisement - -