सफलता की कहानी : उदयपुर चावण्ड क्षेत्र में पसरा एमजेएसए का प्रताप
जयपुर। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान (एमजेएसए) की बदौलत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों का कायापलट होने लगा है। पानी के मामले में आत्मनिर्भरता पाने की वजह से लोक जीवन और परिवेश के कई आयामों में सुनहरा बदलाव सामने आने लगा है। मेवाड़ अंचल में इस अभियान ने धरती पर व्यापक परिमाण में सतही पानी को संग्रहित करने के साथ ही भूमिगत जल स्तर में बढ़ोतरी का ग्राफ दर्शाया है और इस कारण से भूमिगत नमी भी बढ़ी है जिसका फायदा किसानों को मिलने लगा है।
अभियान को आशातीत सफलता देने के लिए प्रकृति ने भी सरकार का पूरा साथ दिया और भरपूर बारिश की सौगात दे डाली ताकि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के इस अभियान की मंशा का ऎतिहासिक और अपूर्व स्वरूप दर्शाया जा सके। उदयपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के कार्यों ने ग्राम्य लोक जीवन को हरियाली का अहसास कराया है। इन्हीं में एक है चावण्ड क्षेत्र, जो प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के नाम से दूर-दूर तक मशहूर है। अब इस क्षेत्र में अभियान का प्रताप पसरा हुआ देखा जा सकता है। हाल ही अभियान की गतिविधियों का अवलोकन करने आयी नेशनल मीडिया की टीम ने भी चावण्ड में जगह-जगह बनी जल संरचनाओं को देख कर इन्हें बेहतर उपलब्धि बताते हुए सराहना की।
जिले की सराड़ा पंचायत समिति के चावण्ड गांव में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत 0.55 लाख की धनराशि से एमपीटी का निर्माण आई.डब्ल्यू.एम.पी.-2 के क्षेत्र में किया गया। इस कार्य का चयन चावण्ड गाँव के लोगों की भागीदारी से किया गया। स्थानीय लोगों ने अवगत कराया था कि इस क्षेत्र का पानी बहकर खेतों से होता हुआ नाले में चला जाता है। यह बहता हुआ पानी खेत की मिट्टी को बहाकर साथ ले जाता है। इस प्रकार उपजाऊ मिट्टी बहकर नाले में चली जाती है। जलग्रहण विकास विभाग के तकनीकि अधिकारियों ने तकनीकि अवलोकन के बाद इस स्थल पर एमपीटी बनाने का सुझाव दिया। इससे लगभग 20 हेक्टर क्षेत्र में रहने वाले 17 खेतीहर परिवारों को लाभ मिलने लगा है। इससे नीचे के क्षेत्र में स्थित छह कूओं में जल स्तर बढ़ने लगा है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत एम.पी.टी. निर्माण के बाद से बहकर चला जाने वाला सतही जल रुका है, मिट्टी का कटाव भी कम हुआ है।
इस एम.पी.टी. से इस बारिश में लगभग 4 लाख लीटर पानी सतह पर रुकने, 16 लाख लीटर पानी जमीन में उतरने की उम्मीद को आकार मिल रहा है। स्थानीय लोगों के पीने के पानी समस्या पर भी काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा। गर्मी के दिनों में टैंकर से पानी पहुंचाने की विवशता भी खत्म होने की उम्मीद है। मवेशियों के लिए पीने का पानी उपलब्ध हुआ है और कूओं का बढ़ा हुआ जलस्तर स्थानीय लोगों को रबी की फसल लेने में सहायक सिद्ध । इससे क्षेत्र के किसानों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति मजबूत होगी। अनुमान लगाया गया है कि करीबन 400 टैंकर पानी जमीन मे उतर कर कूओं का जलस्तर बढ़ायेगा ही। चावण्ड क्षेत्र में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत कई जल संरचनाओं ने जल के मामले में आत्मनिर्भरता पा ली है और क्षेत्र भर में इससे सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है।