क्या सिनेमा में ज़िंदा है राखी का त्यौहार
पिछले कुछ सालों में फिल्मों में कुछ अलग चीज़े देखने को मिलती हैं। हीरो-हीरोइन का अलग तरीके से दोस्ती करना, प्यार होना और इसके बाद अलग तरीके से फिल्म का एंड होना। बॉलीवुड को शुरू से अब तक देखा जाए तो सिनेमा का पूरा स्वरूप ही बदल चुका है। अभी का सिनेमा पूरी तरह से बदल चुका है। इस सिनेमा में अब सबकुछ है पर कुछ ऐसा भी है जो इस सिनेमा में गायब है। अगर आज से दस या पंद्रह साल पहले के सिनेमा को देखे तो उसमें भाई-बहन का प्यार और मां की ममता दोनो होते थे। आडियंस को भावुक करने के लिए फिल्मों में इनका होना जरूरी होता था। लेकिन वहीं इसके उलट आज सिनेमा से भाई-बहन के रिश्ता कहीं दूर होता जा रहा है।
एक दशक पहले के सिनेमा को ही अगर देखे तो उसमें प्यार, रिश्ते, दोस्त और परिवार सभी का समावेश होता था। इसमें दोस्तो की दोस्ती, मां का प्यार, पिता की डांट, बहन का दुलार और सच्चा प्यार जैसे रंगों से परिपूर्ण होती थी। लेकिन अभी की फिल्मों में ये शायद थोड़ा कम या गायब सा हो गया है। यहां हम वर्तमान फिल्मों की बुराई नहीं कर रहे हैं ना ही उनमें कोई दोष है बल्कि अब फिल्में ज्यादा स्वतंत्र हुई हैं। लेकिन रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर हम आपको याद दिला रहे हैं उन पुराने फिल्मी नगमों को जिन्हें याद करके आप रक्षाबंधन के त्यौहार को और भी ज्यादा गहराई से महसूस कर पाएंगे।
हमारी ज़िंदगी का हर पहलू आज हम भारतीय सिनेमा में देखते हैं। ऐसा ही एक पहलू भाई-बहन के प्यार का भी है जो हमारे सिनेमा में कई बार दिखाया जा चुका है। मनोज कुमार अभिनीत फिल्म ‘बेईमान’ मे ही देखा जाए तो एक गाना है ‘ये राखी बंधन है ऐसा’ जिसे सुनकर और देखकर राखी का पूरा यर्थाथ हमारे सामने आ जाता हैं। ऐसे ही सिनेमा ने कई बार इस पवित्र और पावन रिश्ते को रंगमंच के पर्दे पर उकेरने की कोशिश की।
फिल्म ‘तिरंगा’ में भी भाई-बहन और रक्षाबंधन के त्यौहार को बखूबी फिल्माया गया है जिसे देखकर आपकी आंखों में आंसू जरूर आ जाएंगे। इस फिल्म के गाने ‘इसे समझो न रेशम का तार भैया…’ में भैया के राखी न बंधवाने पर रूठी बहना ये गाना गाती है और भाई को समझाती है पर आखिर मे जो होता है उसे देखकर सबका दिल बैठ जाता है। इस गाने के आखिर में ही एक बहन अपने भाई को हमेशा के लिए खो देती है और दम तोड़ते भाई के हाथों में राखी बांधती है।
फिल्मी दुनिया में कई बार रक्षाबंधन के त्यौहार को बताया गया है। महानायक अमिताभ बच्चन की कई फिल्मों में आपको भाई-बहन का प्यार देखने को मिलता हैं। उनके अभिनय से सजी फिल्म मजबूर का गीत ‘नहीं मै नहीं देख सकता तुझे रोते हुए’ सुनने वालों की आंखू में आंसू ला सकता हैं। वही धर्मेन्द्र की भी कई फिल्मे इस रिश्ते से संजोई गई हैं। धर्मेन्द्र की फिल्म ‘रेशम की डोर’ का गीत ‘बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है’ भी लाजवाब हैं। इस फिल्म में धर्मेन्द्र ने एक अनाथ का किरदार निभाया है जिसकी एक बहन भी है। इन्ही दोनो भाई-बहन के प्यार पर आधारित ये फिल्म है।
कुछ सालो पहले आमिर खान प्रोडक्शन की फिल्म ‘जाने तू या जाने न’ में जिस तरह से भाई-बहन के रिश्ते को दिखाया गया है वह पूरी तरह आज के रूप को बताता है। जहां पहले सिनेमा में भाई-बहन का रिश्ता थोड़ा औपचारिक होता था वहीं इस फिल्म में आज के परिवेश को बखूबी दिखाया गया है, जहां ये रिश्ता औपचारिक न होकर दोस्ताना ज्यादा है।
बॉलीवुड आज चाहे कितना ही बदल गया हो पर सिनेमा जगत के ये गीत और ये फिल्मे रक्षाबंधन के त्यौहार को यूं ही फिल्मों में जिंदा रखेंगे