पीएम नरेन्द्र मोदी की NDA सरकार में कैबिनेट मंत्री राम विलास पासवान पिछले 3 दशक से अधिकतर सरकारों में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में रहे हैं। इस दलित नेता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में की और 1969 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। उसके बाद वे तेजी से सीढी दर सीढी चढते गए और उन्होंने कभी भी किसी राजनीतिक विचारधारा को अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया। आज अर्थात 05 जुलाई 2017 को उनका 71वां जन्मदिवस है, इस प्रसंग पर प्रस्तुत है उन पर हमारी यह खास प्रस्तुति।
झेला है 5 साल का वनवास भी
पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू में रहे और फिर 2000 में अपनी पार्टी लोजपा का गठन किया। केवल 2009 से 2014 के बीच का समय पासवान के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहा। जब वे लालू प्रसाद यादव की RJD के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन उनकी पार्टी LJP एक सीट भी नहीं जीत पाई और वे खुद भी हाजीपुर से हार गये थे।
उक्त महापराजय को अगर छोड दें तो बिहार का ये नेता हमेशा देश के राजनीतिक हालात और नब्ज समझता रहा है और उनका राजनीतिक करियर अब 48 साल का हो गया है। फरवरी 2014 में पासवान ने NDA से जुडने का फैसला किया और नरेन्द्र मोदी को लेकर उनके मन में जो भी विरोध था, उसे दरकिनार करते हुए उन्होंने देश की नब्ज समझी और NDA में शामिल हो गए। ये स्पष्ट संकेत था कि भाजपा के नेतृत्व वाला NDA गठबंधन सरकार में आने वाला है।
इन केंद्रीय सरकारों के मंत्रिमंडल का हिस्सा रहें हैं पासवान
आज वे बतौर कैबिनेट मंत्री शायद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने 6 अलग-अलग प्रधानमंत्रियों वी. पी. सिंह, एच. डी. देवगौडा, आई. के. गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और मोदी की कैबिनेट में काम किया है।
पासवान विश्वनाथ प्रताप सिंह के समय में रेल मंत्री बने थे। केन्द्र में चाहे यूनाइटेड फ्रंट हो, NDA हो या UPA, पासवान को अधिकतर सभी गठबंधनों का हिस्सा बनने का मौका मिला। UPA-2 सरकार में वे मंत्रिमंडल में शामिल नहीं रहे। वे वी. पी. सिंह के समय 1989 में केन्द्रीय श्रम मंत्री बने। एच. डी. देवगौडा और गुजराल सरकार के समय वे जून 1996 से मार्च 1998 तक रेल मंत्री रहे। पासवान अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 के बीच संचार एवं आईटी मंत्री रहे। सितंबर 2001 से अप्रैल 2002 के बीच वे खान मंत्री रहे। 2004 से 2009 के बीच वे रसायन एवं उर्वरक तथा इस्पात मंत्री रहे।
‘गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस’ में दर्ज हैं रिकार्ड
पासवान ने LLB और MA की डिग्रियां प्राप्त की है। वे 8 बार लोकसभा सांसद रहे हैं। हाजीपुर सीट से 5 लाख से अधिक मतों से जीतकर उन्होंने गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में अपना नाम दर्ज कराया। आपातकाल के समय वह जेल गये।
संसद में प्रवेश के लिए केवल एक बार उन्हें राज्यसभा का विकल्प चुनना पड़ा। वे 2009 का चुनाव हारे और उनकी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। पासवान को JDU के राम सुंदर दास ने हराया था। RJD के समर्थन से वे राज्यसभा चुनाव जीते।
पासवान ने गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर मोदी का विरोध करते हुए NDA का साथ छोड़ दिया था।
2 शादियों की निजी बात सार्वजनिक करना पड़ी
LJP नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 2 शादियां की हैं। उनकी पहली शादी 1960 में राजकुमारी देवी से तो दूसरी रीना से 1983 में हुई। पासवान की पहली पत्नी से दो बेटियां हैं जबकि दूसरी पत्नी रीना से एक बेटा और एक बेटी है। पासवान ने हरियाणा की रहने वाली पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखने वाली रीना से साल 1982 में शादी की थी। उनकी पहली शादी 1960 में हुई थी। LJP के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार खुलासा किया था कि उन्होंने 1981 में पहली पत्नी से तलाक लिया था। पासवान ने यह खुलासा तब किया तब JDU ने उनकी वैवाहिक स्थिति को लेकर नामांकन को चुनौती दी थी।
बेटे चिराग जमुई से चुनाव जीते हैं
हाजीपुर के तत्कालीन सांसद और JDU उम्मीदवार राम सुंदर दास के एजेंट कन्हैया प्रसाद ने पासवान के मामले को उठाते हुए कहा था कि उन्होंने अपने हलफनामे में पहली पत्नी राजकुमारी देवी के नाम का जिक्र नहीं किया था। पासवान के वकील ने जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष राजकुमारी से 1981 में हुए तलाक से संबंधित दस्तावेज पेश किए थे। पासवान ने राजकुमारी देवी से 1960 में शादी की थी। उसके बाद से पासवान ने अपनी दूसरी पत्नी रीना का नाम हलफनामे में बताया है। रीना और पासवान का एक बेटा भी है, जिनका नाम चिराग पासवान है। चिराग पासवान जमुई से चुनाव जीते हैं। पासवान की पहली पत्नी से 2 बेटियां हैं, ऊषा और आशा और दोनों की शादी हो चुकी है।