रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जो भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है। ये वह दिन होता है जब भाई अपनी बहन को जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है। वहीं बहन अपने प्यार और दुलार की राखी भाई के हाथों में बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। लेकिन रक्षाबंधन के इस त्योहार के पीछे भी कई कहानियां हैं। जानिए कुछ ऐसी ही कहानियों के बारे में, जिनके ही कारण रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।
यहां से हुई शुरूआत राखी की-
यह माना जाता है कि प्राचीन समय में देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध के दौरान भगवान इंद्र को राक्षसों द्वारा अपमानित किया गया था। उस समय उनकी पत्नी इंद्राणि ने उनकी कलाई के चारों तरफ धागा बांधा था, जो उन्हें भगवान विष्णु से मिला होता है। यह धागा राक्षसों से भगवान इंद्र की रक्षा करने के लिए था। तब से ही राखी का चलन शुरू हुआ। अंतर इतना है कि प्राचीन समय में ये त्योहार पति-पत्नी का त्योहार माना जाता थ और आज ये भाई-बहन का त्योहार माना जाता है।
कृष्ण और द्रोपदी का रिश्ता-
ये माना जाता है कि एक बार भगवान कृष्ण पतंग उड़ा रहे थे, तभी मांजे से उनकी उंगली कट जाती है। उसी समय द्रोपदी अपनी साड़ी का कुछ हिस्सा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध देती हैं। बदले में , भगवान कृष्ण उन्हें हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कैसे भगवान कृष्ण ने द्रापदी को चीर हरण में उनकी साड़ी बढ़ाकर उनकी रक्षा की और अपना वचन पूरा किया।
एलेकजेंडर और पोरस की कहानी-
जब एलेकजेंडर ने भारत पर आक्रमण किया था, उसकी पत्नी रूकसाना ने पोरस को एक पवित्र राखी भेजी थी। वो राखी मिलने पर उसने रूकसाना से वादा किया था कि वो उसे और उसके पति की रक्षा करेगा। इसलिए जब पोरस युद्ध के मैदान में एलेकजेंडर से युद्ध करने गया तो वह अपने हाथ पर बंधी कलाई को देखकर लड़ााई से पीछे हट गया। और इस तरह एक भाई ने बहन को दिया वचन पूरा किया। तभी से मान्यता है कि भाई अपनी बहन को हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन इस दिन देते हैं।