आपने नदी को बहते हुए तो देखा होगा लेकिन कभी नदी के साथ में सोना बहते हुए नही देखा होगा | हम बात कर रहे है कनाडा की डॉसन सिटी के बारे में जहाँ नदी के साथ साथ सोना भी बहता है | कनाडा की डॉसन सिटी वहीँ जगहों में से एक है जो क़रीब सौ सालों से अपनी सुन्दरता से हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित कर रही है | यह क्लोनडाइक नदी के किनारे बसा हुआ शहर है | जहाँ की आबादी बहुत कम है |
डॉसन सिटी के मेयर वेन पोटोरका का कहना है कि, इस शहर की हमेशा से ही एक अलग पहचान रही है | यहाँ तरह – तरह के लोग रहते हैं जो इस इलाक़े की ख़ूबसूरती में चार चांद लगाते हैं | 1896 में जॉर्ज कार्मेक, डॉसन सिटी चार्ली और स्कूकम जिम मेसन ने सबसे पहले इस नदी में सोना होने की बात बताई थी | वें बतातें है कि, जैसे ही नदी में सोने की ख़बर लोगों के बीच फैली इस शहर में लोगों की जनसंख्याँ रातों – रात 1500 से बढकर तीस हज़ार हो गई | किन्तु, आज यहाँ की आबादी में खान में काम करने वाले हैं, कुछ कलाकार हैं, और कुछ वो लोग हैं जो ख़ुद को इस शहर का मूल नागरिक बताते हैं |
कुदरती नज़ारें
ओगिल्वी पहाड़ों से घिरी हुई डॉसन सिटी, जो क़रीब दो हज़ार किलो मीटर तक फैला हुआ है | यूकॉन इलाक़ा कनाडा का सबसे कम आबादी वाला इलाक़ा है | इस इलाक़े की ज़्यादातर आबादी वाइटहॉर्स में बसी है | वाइटहॉर्स अलास्का, ब्रिटिश कोलंबिया और नॉर्थ वेस्ट के इलाक़ों से सटा हुआ है | डॉसन सिटी तक पहुंचने में आपको बहुत तरह के ख़ूबसूरत क़ुदरती नज़ारे देखने को मिलते हैं | हर साल यहाँ बड़ी तादाद में लोग आते है कुछ अमीर बनने के लिए तो कुछ ख़ूबसूरत और दिलकश नज़ारों को देखने आते हैं |
सोने के प्रकार
सोने की खोज करने वाले लोग कई दशकों से इसी काम में लगे हैं | सोने की इस नदी के पास जमी रेत को बालटियों में इकट्ठा करते हैं, फिर उसे कई बार छानते हैं | नदी के पानी को छोटे-छोटे बर्तनों में रखकर जमाया जाता है, फिर इस बर्फ़ से सोने के टुकड़ों को अलग किया जाता है | सोने के ये टुकड़े कई शक्ल में होते हैं | जैसे- मोतीनुमा भी हो सकते हैं, पतले छिलके के रूप में भी हो सकते हैं या फिर गुच्छे के आकार के भी हो सकते हैं | हर बार सोने के टुकड़े मिलें यह भी जरूरी नही है, लेकिन यह बाट अच्छी है कि, कोई भी व्यक्ति खुदाई करके यहाँ सोना तलाशने का काम कर सकता है | साथ यही आप इस इलाक़े में मशीने भी लगा सकते हैं |
उत्सुकता
1977 में डॉसन सिटी में आई, यहाँ सोना निकालने का काम करती हैं | मिशेल कहती हैं कि, उनकी किसी परिचित ने इस जगह के बारे में बताया तो वो ख़ुद को रोक नहीं पाईं और पहुंच गई सोना तलाशने | वें बताती है उन्हें हमेशा से ही अलग-अलग जगहों के बारे में जानने की उत्सुकता रही है | यहां खदान मज़दूरों के साथ वह केबिन में रहती हैं, पास के चश्मे के पानी से अपनी प्यास को बुझाती हैं और उसी के पानी से खाना भी बनाती हैं | साथ ही वों कहती है कि, उनकी ज़िंदगी बहुत आराम से गुज़र रही है | वो पास के शहर में हर रोज़ काम के लिए जाती हैं और छुट्टी के दिन मज़े से सोना तलाशती हैं या फिर आस पास के पहाड़ों में क़ुदरती नज़ारों का लुत्फ़ उठाती हैं | हालांकि वो अपने दोस्तों और रिश्तोंदारों से मीलों दूर रहती हैं, लेकिन कभी भी अपने घर की कमी का अहसास नहीं होता है | उन्हें लगता है ये इलाक़ा ही उनका घर है |
यहाँ खदान मज़दूर एक समुदाय की तरह से काम करते हैं | मिशेल को साल 1981 में पहली बार सोने की खदान में काम करने का मौका मिला था और तभी से वो इस समुदाय का हिस्सा बन गईं | साल 1984 में डॉसन सिटी में वुमेन्स वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ गोल्ड का आयोजन हुआ | इस प्रतियोगिता में मिशेल कामयाब हुईं | कुछ सालों बाद यूकॉन ओपन गोल्ड पैनिंग का भी मुक़ाबला हुआ | इस मुक़ाबले में उनका सामना अपने ही साथियों लोगों से था | मिशेल उन सभी को खदान में काम करने के दिनों से जानती थीं | वो सभी अपने काम में माहिर थे | इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वालों में मिशेल ही एक अकेली महिला थीं जिन्हें तमाम मर्दों से लोहा लेना था. दिलचस्प बात ये थी कि वो इस मुक़ाबले में भी कामयाब रहीं | यूकॉन ओपन का ख़िताब जीतने वाली पहली भी महिला बनीं | आज मिशेल खदान मज़दूरों की कोच बन गई हैं | फ़िलहाल वो जैक लंदन म्यूज़ियम में इंटरप्रेटर के तौर पर काम कर रही हैं | साथ ही अपने अनुभव भी लोगों से साझा करती हैं |
वैसे आपको बता दें कि, डॉसन सिटी में सोने की खुदाई का काम हमेशा से ही बड़े पैमाने पर होता रहा है | आज भी यूकॉन की 196 माइनिंग साइट में से 124 सिर्फ़ डॉसन सिटी में हैं |