कोर्ट के एक फ़ैसला से चूर हो गया शशिकला का सबसे बड़ा सपना
कोर्ट के एक फ़ैसला ने शशिकला नटराजन के तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने के सपने को एक बार फिर सपना ही बना दिया है। दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में एआईएडीएमके महासचिव शशिकला नटराजन को दोषी माना है। इसके साथ ही कोर्ट ने शशिकला को चार साल की जेल और दस करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने यह फै़सला सुनाया। बता दें कि कोर्ट ने यह फ़ैसला 21 साल पुराने मामले पर सुनाया है। कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद से अब शशिकला अगले दस सालों तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री नहीं बन सकती है। शशिकला साथ ही उनके दो साथियों को भी सजा सुनाई गई है।
हाईकोर्ट का फ़ैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फ़ैसले को ख़ारिज़ करते हुए निचली कोर्ट के फ़ैसला को बरकरार रखा है। ग़ौरतलब है कि 17 दिसंबर 2014 को निचली अदालत ने जयललिता सहित शशिकला को चार साल की सजा सुनाई थी।
पनीरसेल्वम का रास्ता हुआ साफ़
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद पनीरसेल्वम के फिर से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद जग गई है। मालूम हो कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयललिता के आकस्मिक निधन के बाद ओ पनीरसेल्वम को तीसरी बार सीएम बनाया गया था। लेकिन हाल ही में पनीरसेल्वम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
महज़ एक दिन बाद ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें जबरन सीएम पद से हटाया गया है। वह अभी भी सीएम पद पर बने रहना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर पनीरसेल्वम के इस्तीफ़े के बाद एआईएडीएमके विधायकों की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में शशिकला को तमिलनाडु का सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा गया था।
क्या है पूरा मामला?
-बता दें कि यह यह मामला करीब दो दशक पुराना है और यह केस राज्य सरकार बनाम जयललिता व अन्य के बीच चल रहा है। अन्य आरोपियों में शशिकला, उनकी रिश्तेदार इलावरासी और जया के दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरन शामिल हैं। जया ने उनसे नाता तोड़ लिया था। आरोप है कि इन्होंने वर्ष 1991 से 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाई। इनमें 810 हेक्टेयर जमीन, गोल्ड जूलरी और हजारों सिल्क साड़ियां शामिल हैं।
– सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का ट्रायल उस वक्त चेन्नै से बेंगलुरु की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था, जब एक डीएमके मेंबर ने शिकायत दर्ज कराई। उसने आशंका जताई थी कि सूबे की अदालत में इस मामले में निष्पक्ष फैसला न हो क्योंकि मामले में मुख्य आरोपी सीएम है।
– बेंगलुरु की अदालत ने 27 सितंबर 2014 को जयललिता को चार साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने उन पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। बाकी तीन पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। जयललिता बतौर सीएम अयोग्य हो गईं और उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने 11 मई 2015 को जया, शशिकला और अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। इसके बाद जयललिता की एक बार फिर सत्ता में वापसी हुई। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
शशिकला पर और भी लगे हैं कई गंभीर आरोप
आय से अधिक सम्पत्ति के अलावा शशिकला पर कई गंभीर आरोप भी लगे हैं। 1995 से 1996 के बीच प्रवर्तन निदेशालय ने उनके ख़िलाफ़ फेरा उल्लंघन के संबंध में तीन केस दर्ज किए है।
इसमें अमेरिकी और सिंगापुर डॉलर्स से दो विदेशी कंपनियों को भुगतान करने का मामला भी शामिल है। इसके अलावा शशिकला के ख़िलाफ फॉरेन एक्सचेंज का मामला भी दर्ज है। आरोप है कि उन्होंने मलयेशिया से धन हासिल करके उससे नीलगिरी में चाय के बागान खरीदे हैं। बता दें कि शशिकला को इस मामले में भी अभी ट्रायल का सामना करना होगा।
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