हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं सुमित्रानंदन पंत जिनका जन्म 20 मई आज के दिन हुआ था। कवियों का वह युग जिसमें जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामकुमार वर्मा जैसे महान कवि थे उन्हीं में सुमित्रानंदन पंत का नाम भी शामिल था। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में इस युग का खास योगदान रहा है। सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी पहली कविता चौथी कक्षा में ही लिख दी थी, इनका लालन-पालन इनकी दादी ने किया। इनसे जुड़ी एक खास बात ये भी ये कि इनके जिस नाम के हम सभी परिचित हैं, वो नाम इन्होंने खुद रखा था, बचपन में रखा गया नाम इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था। क्या था इनका बचपन का नाम और इनके जुड़ी कई बातें बताते हैं आपको-
पंत जी ने अपनी कविताओं के जरिए साहित्य को वो ऊंचाईयां प्रदान की जिसे हासिल करना आसान नहीं था। एक से बढ़कर एक काव्य, कविता इनकी रचनाओं में शामिल हैं, जिन्हें आज भी पसंद किया जाता है। आज भी इनकी रचनाएं बुक स्टॉल पर नजर आती हैं, ये कोई आम बात नहीं हैं। वैसे तो इस महान लेखक को न पहले किसी पहचान की आवश्यकता थी न ही आज है, पर आज इनकी जन्मतिथि पर जानते हैं इनसे जुडी कई रोचक बातें।
सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को अल्मोड़ा जिले के ग्राम कौसानी उत्तराखंड में हुआ था। जन्म के 6 घंटे बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था। उनका लालन-पालन उनकी दादी ने किया। वे सात भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई। 1918 में में वे अपने मंझले भाई के साथ काशी आ गए और क्वींस कॉलेज में पढ़ने लगे। आगे की पढ़ाई इलाहाबाद में की।
आगे पढ़िए क्या था इनका पहला नाम जो इन्हें नहीं था पसंद