ऑटोमोबाइल कंपनियों को कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका, BS-3 गाडिय़ों की बिक्री पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने ऑटोमाबाइल कंपनियों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट आज बीएस-3 यानि भारत स्टेज 3 वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने को लेकर आज कोर्ट इस पर फैसला सुना सकता है। यह रोक एक अप्रैल से लगाई जानी है। बता दें कि इस फैसले के बाद एक्टिवा जैसी स्कूटर, पल्सर आदि के खरीदने और रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी जाएगी।
बीएस-3 वाहनों को लेकर देश की बड़ी ऑटो कंपनियों के बीच भ्रम बना हुआ है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए बीएस-3 इंजन के वाहनों के आरटीओ में रजिस्ट्रेशन पर रारेक लगाने की बात कही थी। इसके बाद से ऑटो कंपनियों के पास कुल 8.24 लाख बीएस वाहन स्टॉक में पड़े हैं। बता दें कि इसमें साढ़े छह लाख से ज्यादा टू-व्हीलर, करीब 40 हजार थ्री- व्हीलर और 96 हजार के करीब व्यवसायिक वाहन और 16 हजार कारें शामिल हैं।
हमें खलनायक मत बनाओ, हम कहीं भाग नहीं रहे-
वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम की तरफ से कहा गया है कि इस स्टॉक को निकालने के लिए करीब एक साल का समय मिलना चाहिए। क्योंकि 2010 से मार्च 2017 तक वाहन निर्माता कंपनियों ने 13 करोड़ बीएस-3 वाहन बनाए हैं। हम कोई खलनायक नहीं है । और हम भागेंगे भी नहीं। हम भी चाहते हैं कि हमारा वातावरण प्रदूषणमुक्त बने। संगठन के अनुसार अप्रैल 2017 से ऐसे वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाना इस उद्योग पर धावा बोलने जैसा होगा।
वाहनों का उत्पादन घटाना था-
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वाहन कंपनियों को 2014 में ही बीएस4 अधिसूचना के बारे में पता था और जब लोगों को 2010 से ही जानकारी हो गई है, तो उन्हें बीएस-3 वाहनों का उत्पादन घटाना चाहिए था।
कोर्ट ने दी दलीलें-
कोर्ट ने कहा था कि उसके पास तीन विकल्प हैं या तो बीएस-3 वाहनों का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से रोका जाए या वाहन पंजीकरण की अनुमति तो मिले लेकिन बड़े शहरों में इसे चलाने पर रोक लगाई जाए, या स्वास्थ्य के होने वाले नुकसान को देखते हुए कंपिनियों पर जुर्माना लगाया जाए।
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