भारत ने दिया पड़ोसियों को गिफ्ट, पाकिस्तान को नहीं मिलेगा फायदा
आज (शुक्रवार) शाम करीब पांच बजे भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल (GSLV) अपने अब तक के सबसे भारी अंतरिक्ष रॉकेट का प्रक्षेपण कर दिया। इस उड़ान का मकसद “दक्षिण एशिया सैटेलाइट” (जीसैट-9) को अंतरिक्ष में स्थापित करना है।
पाकिस्तान को छोड़कर 6 पडोसी लेंगे लाभ
संचार उपग्रह जीसैट-9 भारत समेत 7 दक्षिण एशियाई देशों को संचार सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। पाकिस्तान को छोड़कर बाकी सभी दक्षेस देश इस भारतीय उपग्रह का लाभ उठा सकेंगे। भारत के अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका जीसैट-9 का लाभ ले सकेंगे। इनमें से हरेक देश को इस उपग्रह के कम से कम एक 12 KU-बैंड के ट्रांसपोंडर्स के प्रयोग की सुविधा मिलेगी जिससे उनका संचारतंत्र मजबूत होगा। प्राकृतिक आपदा और आपातकालीन स्थिति में इस संचारतंत्र से सभी देशों को हॉटलाइन से जुड़ने की सुविधा भी मिलेगी।
पूरा खर्च भारत उठाएगा
इस प्रक्षेपण में लगने वाला 450 करोड़ रुपये का खर्च अकेले भारत वहन कर रहा है। GSLV द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला ये 11वां अंतरिक्ष यान होगा। जीसैट-9 के साथ ही इसरो के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी। अभी हाल ही में इसरो ने मंगल पर मंगलयान भेजकर पूरी दुनिया में वाहवाही लूटी थी। भारत पहला ऐसे देश है जो पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में सफलता पूर्व अंतरिक्ष यान भेजने में सफल रहा।
पड़ोसी देशों को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का लाभ
भारत के जीसैट-9 की अनुमानित आयु करीब 12 साल है। इस दौरान भारत के पड़ोसी देशों को करीब 10 हजार करोड़ रुपये का लाभ होगा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि विकासशील देश ने अपने पड़ोसी देशों को निःशुल्क ऐसी सुविधा उपलब्ध कराई हो। अन्य देशों ने भी संयुक्त रूप से अंतरिक्ष उपग्रह लॉन्च किए हैं लेकिन वो वाणिज्यिक उद्देश्यों और मुनाफे के लिए किए जाते रहे हैं। भारत पहले जीसैट-9 को दक्षेस देशों की परियोजना के तौर पर अमलीजामा पहनाना चाहता था, लेकिन पाकिस्तान इस परियोजना से बाहर हो गया।
गगन को भी बेहतर बनाएगा
जीसैट-9 अपने गगन (GPS और GN का संयुक्त नाम) को बेहतर बनाने के लिए भी जरूरी सामग्री लेकर जाएगा। गगन से अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टिम (GPS) के वाणिज्यिक इस्तेमाल की सुविधा उपलब्ध कराता है। गगन की मदद से GPS का इस्तेमाल परंपरागत 30 मीटर से बढ़कर 3 मीटर तक हो जाएगा जो सैन्य उपयोगी होता है। 1 मीटर तक सटीक सूचना देने वाला GPS केवल अमेरिकी सेना को उपलब्ध है। गगन की मदद से मिलने वाली GPS सूचना केवल भारतीय यूजर को मिलेगी।
अभी तक 180 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे
फरवरी 2017 में इसरो ने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) से एक साथ 104 उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में भेजा था। PSLV से अभी तक 180 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं।
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