Wednesday, July 26th, 2017
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ये है वो गांव, जिसने भारत को दिए हजारों फौजी




बिहार-उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसा गहमर गांव करीब 8 वर्गमील में फैला है। उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले का गहमर गांव न सिर्फ एशिया के सबसे बड़े गांवों में गिना जाता है, बल्कि इसकी ख्याति फौजियों के गांव के रूप में भी है। इस गांव के करीब 10 हजार फौजी इस समय भारतीय सेना में जवान से लेकर कर्नल तक विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। लगभग 80 हजार आबादी वाला यह गांव 22 पट्टी में बंटा हुआ है और हर पट्टी किसी न किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर है। यहां के लोग फौजियों की जिंदगी से इस कदर जुड़े हैं कि चाहे युद्ध हो या कोई प्राकृतिक विपदा यहां की महिलाएं अपने घर के पुरूषों को उसमें जाने से नहीं रोकती, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित कर भेजती हैं।

गांव में भूमिहार को छोड़ वैसे सभी जाति के लोग रहते हैं, लेकिन ज्यादा संख्या राजपूतों की है और लोगों की आय का मुख्य स्रोत नौकरी ही है। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध हो या 1965 और 1971 के युद्ध या फिर कारगिल की लड़ाई, सब में यहां के फौजियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

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विश्वयुद्ध के समय में अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे, जिनमें 21 मारे गए थे। इनकी याद में गहमर मध्य विधालय के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगा हुआ है। गहमर के भूतपूर्व सैनिकों ने पूर्व सैनिक सेवा समिति नामक संस्था बनाई है। पूर्व सैनिक सेवा समिति संयोजक शिवानंद सिंह कहते हैं, “10 साल पहले स्थापित इस संस्था के करीब 3 हजार सदस्य हैं और प्रत्येक रविवार को समिति की बैठक कार्यालय में होती है जिसमें गांव और सैनिकों की विभिन्न समस्याओं सहित अन्य मामलों पर विचार किया जाता है।

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गांव के लड़कों को सेना में बहाली के लिएतैयारी में भी मदद दी जाती है। गांव के युवक गांव से कुछ दूरी पर मठिया चौक पर सुबह-शाम सेना में बहाली की तैयारी करते नजर आ जाएंगे। शिवानंद सिंह कहते हैं, “यहां के युवकों की फौज में जाने की परंपरा के कारण ही सेना गहमर में ही भर्ती शिविर लगाया करती थी। लेकिन 1986 में इस परंपरा को बंद कर दिया गया, और अब यहां के लड़कों को अब बहाली के लिए लखनऊ, रूड़की, सिकंदराबाद आदि जगह जाना पड़ता है।

गहमर भले ही गांव हो, लेकिन यहां शहर की तमाम सुविधाएं  हैं। गहमर रेलवे स्टेशन पर कुल 11 गाड़ियां रूकती हैं और सबसे कुछ न कुछ फौजी उतरते ही रहते हैं लेकिन पर्व-त्योहारों के मौके पर यहां उतरने वाले फौजियों की भारी संख्या को देख ऐसा लगता है कि स्टेशन सैन्य छावनी में तब्दील हो गया हो।

 






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