भारत में रक्षाबंधन का त्यौंहार जहां हर गांव और शहर में मनाया जाता है, वहीं एक गांव ऐसा भी है जहां 12वीं सदी के बाद से इस त्यौहार को नहीं मनाया गया। जी हां.. सुराना नाम का यह गांव मेरठ कीमुरादनगर तहसील में स्थित है।
यहां के स्थानीय लोग बताते हा कि 12 वीं शताब्दी में मोहम्मद गौरी नें इस गांव में हमला किया था। हमले में गौरी ने एक महिला और उसके बच्चें को छोड़ कर बाकी सबकी हत्या कर दी थी। इन दोनों के बचने का कारण उनका हमले के वक्त गांव में न होना था। जिस दिन यह सब हुआ उस दिन रक्षाबंधन का दिन था।
इसके बाद गांव फिर से आबाद हुआ और वर्षो बाद फिर से रक्षाबंधन का त्यौंहार मनाया गया। लेकिन उसी समय गांव का एक बच्चा विकलांग हो गया। इसके बाद से ही रक्षाबंधन को शापित मानकर गांववालों से इस त्यौंहार को मनाना बंद कर दिया।
इस गांव को राजपूतों ने आठवीं शताब्दी में बसाया था। उन्हें यहां कई चीजें ऐसी मिली है जो 9वीं सदी की है। इतिहासकारों का कहना है कि 12वीं सदी में गौरी यहां से गुजरा होगा और उसने रास्तें पड़ने वाले प्रत्येक गांव और उसमें मौजूद मंदिरों को नष्ट कर दिया था।