पटौदी रियासत के आखिरी और नौवें नवाब थे मंसूर अली खान पटौदी। वह जाने माने क्रिकेटर में से एक थे। इससे पहले उनके पिता भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके थे। मंसूर अली खान जिन्हें लोग टाइगर भी कहा करते थे और यह उनका निकनेम भी था। मंसूर अली खान ने क्रिकेट के लिए बहुत ही डेडीकेटेड थे। वह भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा है, उनका जिस तरह क्रिकेट के प्रति दिवानगी और जुनून था। 22 सितंबर को उनकी छठी पुण्यतिथि के मौके पर आपको उनके पटौदी जीवन से रूबरू करवाते है-
यह थे मंसूर अली खान
मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में नवाब इफ्तिखार अली खान के घर हुआ था। मंसूर अली खान को उनके निकनेम के अलावा नवाब पटौदी जूनियर भी कहा जाता था। उन्होंने क्रिकेट के करियर में भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेलते हुए 2793 रन बनाए थे। साथ ही उन्होंने 6 सेंचुरी और 16 हाफ सेन्चुरी मारी थी, जिसमें उनका हाईएस्ट स्कोर 203 रहा है।
भारत के लिए उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी भी की थी, जिसमें उन्होंने 2424 रन बनाए थे। जब वो कप्तान थे उस समय उन्होंने डबल सेंचुरी लगाई थी। लेकिन अपनी कप्तानी में खेले 40 मैचों में से वे सिर्फ 9 मैच ही जीत पाए थे, 19 मैचों में हार हाथ लगी थी। और 12 मैच डॅ्रा हो गए थे। 1967 में इन्हीं की कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ एशिया के बाहर अपना पहला टेस्ट मैच जीता था।
1961 में जुलाई में ब्रिटेन में एक कार एक्सीडेंट में वह अपनी एक आंख गवा चुके थे, जिसके बाद सभी को यही लगा था कि अब तो उनका क्रिकेट करियर समाप्त हो गया। लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था। उसी साल में उन्होंने 6 महीने बाद इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में पहला टेस्ट खेलते हुए डेब्यू किया था। 1962 में उन्होंने वेस्ट इंडीज टूर के दौरान उन्हें वाईस कैप्टन के लिए चुना गया। और उसी साल वेस्ट इंडीज के दौरे के वक्त वे टीम इंडिया के कप्तान बन गए थे। अपनी एक आंख खोने के बाद वह सिर्फ 21 साल की उम्र में ही दुनिया के सबसे कम उम्र के टेस्ट कप्तान बने थे।
इस तरह था पटौदी का हरियाणा से कनेक्शन
मंसूर अली का जन्म तो भोपाल हुआ था लेकिन उनके पुराने पुरखों को हरियाणा में पटौदी के नाम से जानी जाती रियासत तोहफे में मिली थी, इसलिए उनका यहां से गहरा नाता रहा है। इनके पुरखे सलामत खान सन्1408 में अफगानिस्तान से भारत आए थे। सलामत के पोते अल्फ खान ने मुग्लों का कई लड़ाइयों में साथ दिया था। उसी के चलते अल्फ खान को राजस्थान और दिल्ली में तोहफे के रूप में जमीनें मिली। इसके बाद सन् 1917 से 1952 तक इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दिकी, पाटौदी रियासत के आठवें नवाब बने थे। पहले पिता इफ्तिखर अली खान भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे, फिर मंसूर ने 70 दशक में भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी हासिल कर ली।
साल 2011 में लंग इन्फेकशन के कारण नवाब पटौदी की दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में मृत्यू हो गई थी। इसके बाद बेटे सैफ अली खान की 10वें नवाब के रूप में ताजपोशी हुई। मंसूर अली को उनकी मृत्यू के बाद उनको नवाब परिवार के पटौदी पैलेस के नाम से महल है उन्हें उसी महल परिसर में ही दफना दिया गया था। उनके अन्य पूर्वजों की कब्र भी यहीं आसपास है।