चुनावों में मिलते खैराती वादे, कैसे मिलेगा युवाओं को सम्मानजनक अधिकार
युवा देश की तकदीर होते है और युवा ही देश का भविष्य बनाते है। बुजुर्ग इस युवा पीड़ी को अपने ज्ञान के अनुभव से सींचकर बड़ा करते है। भारत में करीब 65 प्रतिशत आबादी युवा है ऐसे में देश में जो भी किया जाता है ज़्यादातर युवाओं को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने युवाओं की ताकत के दम पर ही चुनाव में जीत हासिल की थी।
इन दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव चल रहे है और भारत का युवा इन चुनावों में बड़े ही उत्साह के साथ हिस्सा लेता नज़र आ रहा हैं। देश के कई युवा है जो राजनीति में ही अपना करियर बना रहे है। बात चाहे यूपी के सीएम अखिलेश यादव की करें या बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी कुमार की। पूरे देश में अब धीरे-धीरे युवा नेता नज़र आने लगे हैं।
भारत का युवा आज किसी के वादों का या किसी की दी हुई रियायत का मोहताज नहीं है वो अपने दम पर अपना मुकाम हासिल करना जानता है लेकिन पिछले दिनों जारी हुए राजनीतिक पार्टियों के मेनफिस्टो नें ये बातें शायद झुठला दी है। इन मेनफिस्टो को देखकर लगता है कि भारत के युवा को सब कुछ रियायत में मिलना चाहिए।
मेनफिस्टो तो आप भी देख ही चुके होंगे। सभी पार्टियां युवाओं को क्या देना चाहती हैं। जरा सोचिए अगर पार्टी जीत जाए और अपने वादें पूरे कर दें तो युवाओं का क्या होगा। क्या वे और विकसित हो पाएंगे? क्या वे अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो पाएंगे। इनका जवाब जानने के लिए हम एक बार पार्टियों के मेनफिस्टो पर नज़र डालते हैं।
मेनफिस्टों में भी हमें ज़्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं। हम सिर्फ यूपी की ही बात करते हैं। यहां पार्टियों ने एलान किया है कि स्टूडेंट्स को मुफ्त में वाई-फाई, लैपटॉप दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर यहां स्मार्टफोन, प्रेशर कुकर, मिड डे मील भोजन आदि की भी घोषणा की है क्या आज का युवा इन चीज़ों को वोट के बदले लेकर आने वाले पांच साल के लिए सरकार बनाएगा।
इन चुनावी वादों को देखकर लगता है कि राजनैतिक पार्टियां गरीबों को और युवाओं को सबकुछ खैरात में ही देना चाहती है। इन मेनफिस्टों का आप अगर गहन अध्ययन भी कर लेंगे तो भी आपको पांच प्रतिशत से ज़्यादा रोजगार की बात नहीं मिलेगी। आज के जमाने में शहर हो या गांव या पूरा देश, रोजगार ही एक ऐसी चीज़ है जिससे विकास किया जा सकता है।
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आज किसी भी इंसान के लिए पर्याप्त रोजगार ही उसके विकास का साधन है। आज कई इंसानों के पास रोजगार तो है लेकिन उनकी आय पर्याप्त नहीं है वो मेहनत पूरी करते है लेकिन उन्हें इतना मेहनताना नहीं मिलता। सरकार रोजगार को लेकर बहुत कुछ कर सकती है लेकिन आप किसी भी पार्टी के मेनफिस्टों को देख लीजिए। रोजगार के लिए बहुत ही कम वादे किए होंगे। इन मेनफिस्टो में सिर्फ वही चीजे मिलेंगी जो एक आम आदमी को और भी आम बना देगी। सरकार को हमेशा प्रयास करने चाहिए कि वो लोगों के रोजगार बढ़ा सके साथ ही उनके रोजगार से मिलने वाले मेहनताने को लेकर भी पारदर्शिता होनी चाहिए।