टैक्स चोरों के बुरे दिन शुरु!
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नोटबंदी के बाद मोदी सरकार टैक्स चोरी करने वालो पर नकेल कसने के लिए एक और तैयारी कर रहीं हैं। कयास लगाए जा रहे है कि इस नए कदम की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट में कर सकते है। जिससे टैक्स चोरी करने वाला का पता आसानी से लगाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाया जा सके।
ये है नया प्रपोजल
केंद्र सरकार लगातार टैक्स चोरी के खिलाफ नए कदम उठा रहीं है। लेकिन टैक्स चोरी करने वाले मानते ही नहीं है। इसलिए सरकार एक नया कदम टैक्स चोरी के खिलाफ उठा सकती हैं। दरअसल, वित्त मंत्रालय को एक प्रोविजन बजट में शामिल करने का प्रपोजल मिला है। जिसके तहत एक तय सीमा से ज्यादा कमाने वालों के लिए बैकों मे ITR 5 सबमिट करना अनिवार्य हो सकता है।
क्या होता है आइटीआर 5
दरअसल, रिटर्न की ई-फाइलिंग करने वाले सभी टैक्सपेयर्स के लिए ITR 5 अनिवार्य है। यह उनके लिए है जिन्होंने रिटर्न को वेरिफाई करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल नहीं किया है। यह एक तरह से अक्नॉलेजमेंट है। जिसके तहत टैक्स रिटर्न भरने के बाद ITR 5 की प्रिंट पर सिग्नेचर कर उसे टैक्स डिपार्टमेंट के सीपीसी-बेंगलुरु भेजना पड़ता हैं।
क्या है तय सीमा
वित्त मंत्रालय को जो प्रपोजल मिला है, उसके अनुसार ऐसे लोग जो साल में 5 लाख रुपए से ज्यादा का लेन-देन करते है या जिनके अकाउंट में 5 लाख रुपए से ज्यादा हो उनके लिए ITR 5 को बैंकों में जमा करना अनिवार्य हो सकता है। साथ ही आईटी डिपार्टमेंट के लिए यह भी आसान हो जाएगा कि कौन से लोग ज्यादा कमाई करने के बाद भी टैक्स की चोरी कर रहे हैं।
सरकार को होगा यह फायदा
अगर वित्त मंत्री इस प्रपोजल को बजट में शामिल करते है तो इनकम टैक्स देने वालों की संख्या में इजाफा होगा। इसके अलावा सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी और साथ ही टैक्स चोरी पर लगाम लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही अगर किसी शख्स ने बैंक की जानकारी ITR 5 मे छिपाई है, तो बैक से पता चल जाएगा कि कौन से अकाउंट की डिटेल नहीं दी गई है। जिसके जरिए आईटी डिपार्टमेंट अकांउट होल्डर्स के बैकिंग लेन-देन को आसानी से ट्रैक कर सकेगा।
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