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मोदी सरकार, हमारी माय-बाप। जिस पर सम्पूर्ण देश का भार। एक परिवार के मुखिया की भांति। समूचे देश ने उन्हें अच्छे बहुमत से एक विजेता बनाकर ताज पहनाया। विपक्ष तो मानो नेस्तनाबूत हो गया। बस यही अहंकार मोदी सरकार को आ गया। वे शहंशाह की तरह देश की जनता को लोक-लुभावनी घोषणाओं से मंत्र-मुग्ध कर निकल पड़े विश्व भ्रमण पर। तो दूसरी ओर हर छोटे मुद्दों को बड़ी हवा देते निपटाने में लग गए विपक्ष को। देश में सहिष्णुता की बात हो या जेएनयू का मामला, जम्मू कश्मीर की बात हो या पटेल आंदोलन, जाट आंदोलन सब तरफ सिर्फ हाहाकार ही हाहाकार। बजाए हमारी सरकार माय-बाप बनकर छोटी-छोटी बातें, छोटी-छोटी समस्याओं को और हल्का कर देश को विकास के पथ पर ले जाने के खुद ही उन छोटी समस्याओं को हवा देकर बड़ी बनाने में लग गई और विकास पथ से भटक गई।
एक परिवार के मुखिया की भांति पूरे देश को अपना मान, मरणासन्न अवस्था में पहुंच रहे व्यवसाय-व्यापार को गति देने, देश विकास की बात करने की बजाए छोटे-छोटे मुद्दों पर उलझ रही है या विकास कार्यों के न हो पाने की वजह से जनता का ध्यान भटका रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सरकार और पार्टी के सभी नुमाइंदे बहुत अक्रामक होकर, बहुत ही हल्के और निम्न स्तर की बातों से माहौल खराब करने में लगे हैं। सालों से विपक्ष में बैठने की वजह से सरकार भी विपक्ष के जैसा बर्ताव करने में लगी है। बात सोशल मीडिया की हो या अन्य तरीकों की सभी ओर जहां कहीं भी कोई छोटी बात हुई कि एकदम से तेज हमला करने पर उतर कर आ रहे हैं जोकि किसी भी प्रकार से सही नहीं है। सरकार पूरे देश की माय-बाप होती है। देश के माहौल को बनाए रखने व उसको आगे बढ़ाने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की ही होती है। उसका दोष वे विपक्ष पर मढ़कर अपने दायित्व की इतिश्री नहीं कर सकती है।
बहुत ही अच्छे बहुमत से सरकार विजय होकर संसद में पहुंची है। जनता का, खासकर युवावर्ग का अच्छा समर्थन मिला है। इस बात का उसे ध्यान रखना चाहिए कि ये समर्थन उसे देश के विकास के लिए मिला था न कि अपनी सनक को पूरा करने के लिए। यदि वह उस पर खरा नहीं उतरेगी तो उसे भी पूर्व सरकारों की तरह जमीन नसीब हो सकती है। जनता की इस ताकत का एहसास उसे होना चाहिए। पूर्व की सरकारों का हश्र वह देख चुकी है। सहिष्णुता का मामला हो, जेएनयू का मामला या धार की भोजशाला, गुजरात का पटेल आरक्षण या फिर जाट आंदोलन, देश के हर भाग में आग ही आग भभक रही है और सरकार अपना बड़प्पन दिखाकर गंभीरता से उस पर काम करने की बजाय खुद ही अक्रामक रवैया अपना रही है और आग को भड़का रही है। आज उनके हाथ में ताकत है। सम्पूर्ण सरकारी तंत्र है। उसका दुरुपयोग कर वह देश को ही नुकसान पहुंचाने पर उतारु है। जिन पूर्व सरकारों पर उस तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाते थे अब खुद ही उसके दुरुपयोग में लग गए। जनता सब समझती है ये बात हर पार्टी को समझ लेना चाहिए। जनता द्वारा बार-बार सरकारों को बदलना उसकी स्पष्ट सोच को दर्शाता है। फिर भी ये राजनीतिक पार्टियां अभी तक समझ नहीं पाईं या समझना नहीं चाहतीं।
एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री जी पूरे विश्व में घूम-घूम कर देश के लिए मदद की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर देश के माहौल को सही करने की बजाय उसमें ही आग लगाने का कार्य कर रहे हैं। देश में और देश के बाहर दोनों तरफ देश की बेइज्जती हो रही है। विदेशी कंपनियों के दफ्तर तक में हो आए हमारे प्रधानमंत्री लेकिन देश की कंपनियों, देश के नुमाइंदों की तरफ उनका ध्यान नहीं है। यहां तो महज नारे ही नारे हैं। देश के व्यापारी अपनी कर्मठता से विकास की तरफ बढ़ रहे हैं, उन्हें कोई सुविधाएं नहीं हैं किंतु विदेशी कंपनियों के लिए वे बांहें फैलाए खड़े हैं। इतनी बात तो सामान्य समझ की है कि वे भी यहां तब आएंगे जब यहां का माहौल अच्छा हो वरना आपकी विदेश यात्राएं महज शो बनकर रह जाएंगी। माननीय प्रधानमंत्री जी से आम जनता की ओर से विनम्र निवेदन है कि कृपा कर खुन्नस पर काम करने की बजाय देश का माहौल परिवार के मुखिया की तरह सही बनाए रखने का कार्य करें और देश-देशवासियों के विकास की ओर अपना सारा ध्यान फोकस करें तो बेहतर होगा। देश विकसित होगा तो विदेशी भी सही तरीकों से देश विकास में हाथ बढ़ाने स्वयं चले आएंगे। उनको ढोक लगाने की आवश्यक्ता नहीं पड़ेगी।
जय हिन्द