कर्नाटक सरकार ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। राज्य में 2022 ऐसे गांव हैं, जिनमें एक भी ग्रैजुएट नहीं है। कर्नाटक में कुल 30,000 गांव हैं और इनमें से 2000 से ज्यादा गांवों में एक भी ग्रैजुएट न होना, राज्य के लिए चिंता की बात है। आजादी के बाद से सर्व साक्षरता अभियान के जरिए ग्रामीण शिक्षा को खासी प्राथमिकता दी गई। इस स्कीम के तहत ग्रामीण साक्षरता का अनुपात तो बढ़ा है, लेकिन ग्रैजुएशन करना अब भी ग्रामीणों के लिए मुश्किल है। कई गांव जिनकी जनसंख्या 2000-3000 के बीच है, वहां आम आदमी तक उच्च शिक्षा तक नहीं पहुंच पा रही है, ग्रैजुएशन उनके लिए दूर की बात बनी हुई है।
एक सर्वे के बाद ये आंकड़े ग्रामीण विकास व पंचायती राज विकास विभाग ने पेश किए हैं। हर जिले में करीब 15 फीसदी गांव ऐसे हैं, जिनमें एक भी ग्रैजुएट नहीं है। कोलार, टुमकूर और उत्तर कन्नड़ में जिलों में यह आंकड़ा और ज्यादा है। राज्य सरकार इसे गंभीर मामला मानते हुए 200 से ज्यादा की आबादी वाले गांवों में कम से कम एक ग्रैजुएट तैयार करने की योजना बना रही है।
इस दिशा में कॉलेज एजुकेशन विभाग पहले ही एक स्कीम की घोषणा कर चुका है। इस स्कीम के तहत सरकार ने सभी 30 जिलों के सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है। इसके लिए शुरुआत में 200 से ज्यादा की आबादी वाले 833 गांवों को चुना गया। बारहवीं क्लास के बाद पढ़ाई आगे न बढ़ाने वाले स्टूडेंट्स के लिए लेक्चरर्स की नियुक्ति की गई। इन लेक्चरर्स को यह काम भी सौंपा गया कि किसी भी कारण स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ने वालों का पता लगाया जाए।
कॉलेज एजुकेशन डिपार्टमेंट का मुख्य काम स्कूल के बाद पढ़ाई छो़ड़ने वाले स्टूडेंट्स को कॉलेज में वापस लाना है। 29 जुलाई को सरकार ने सभी कॉलेजों को प्रिंसिपलों को इस बारे में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दिए।