बिहार की राजनीति में क्या मोड़ आया किसी को समझ आया किसी को नहीं आया। खुद लालू नहीं समझ पाए कि उनके साथ में क्या हुआ है। इतना बड़ा बवाल कैसे आया और लालू और उनके पुत्र तेजस्वी को किस तरह बहा कर ले गया पता ही नहीं चला। नीतीश पहले भी बिहार के सीएम थे और अब भी है लेकिन अब वे ज़्यादा पॉवरफुल सीएम साबित हुए।
नीतीश कुमार ने लालू का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिला लिया और फिर से सीएम बनते ही बिहार का प्रशासन हिल गया। नीतीश कुमार के केबिनेट में प्रशासिनक अधिकारियों की बड़ी फेरबदल हुई है। नीतीश सरकार ने 28 आईएएस और 44 आईपीएस अफसरों का तबादला किया है। छह जिलों के डीएम और कई एसपी को भी बदला गया है।
महागठबंधन की वजह से रूका था ट्रांसफर
बताया जा रहा है कि अफसरों का ये बड़ा फेरबदल महागठबंधन में लालू की वजह से रुका हुआ था, लेकिन अब नीतीश ने पहला प्रहार किया है। नीतीश कुमार ने तेज तर्रार और कड़क आईएएस के.के पाठक को बालू और गिट्टी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। वहीं, चंचल कुमार को भवन निर्माण विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया है और आतिश चन्द्रा को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का प्रभार दिया गया है। दोनों आईएएस मुख्यमंत्री के सचिव हैं।
नीतीश ने लालू के आरोपों का जवाब दिया
वहीं, कल नीतीश ने लालू पर कई आरोप लगाए थे, जिनके जवाब में लालू आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। कल आरजेडी ने एक रिपोर्ट दिखाकर हत्या के पुराने मुकदमे में नीतीश पर निशाना साधा तो दोपहर को नीतीश ने लालू के अब तक सारे आरोपों का चुन-चुनकर जवाब दिया। इस पर आज लालू यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नीतीश पर पलटवार करने वाले हैं।
जाति के नेता हैं लालू
इस प्रेस कांफ्रेंस में वे बिहार के सीएम नीतीश कुमार द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का जवाब देंगे। कल नीतीश कुमार ने कहा था कि लालू यादव जन नेता नहीं हैं, वो जाति के नेता हैं। मेरा विश्वास कास्ट बेस में नहीं मास बेस में हैं। लालू यादव को जातिवादी नेता बताने के साथ नीतीश कुमार ने दावा किया कि वो अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए धर्मनिरपेक्षता का राग अलापते हैं।