Tuesday, September 12th, 2017 06:03:41
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बत्ती प्रथा पर लगाम : क्या और राजनैतिक इच्छाशक्ति देखने को मिलेगी ?




lal batti

योगी एक्शन से रिएक्शन में आये और हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला कर डाला, संपूर्ण देश से बत्ती प्रथा को ही मिटा डाला।  स्वच्छ भारत अभियान में जो काम सबसे पहले किया जाना था वो अब इतने दिनों बाद किया। खैर जो भी हो,  देर आये दुरुस्त आये ये निश्चित ही साहसिक फैसला है।  हालाँकि इस फैसले के आफ्टर रिएक्शन बहुत से आएंगे, किन्तु निःसंदेह यह एक अच्छा कदम है। लम्बे अंतराल से मोदी जी आम जनता को ‘ मन की बात ‘ के माध्यम से सिर्फ और सिर्फ ज्ञान ही परोस रहे थे, जो डाइजेस्ट नहीं हो रहा था।  जो काम सबसे पहले करना था वो अब जाकर किया।  सबसे पहले सरकार का शुद्धिकरण कर दो, देश का तो अपने आप हो जायेगा। कारण कुछ भी हो, यू पी इलेक्शन की सक्सेस हो या योगी जैसा सी एम मिल गया हो जो भी हो इस फैसले को सम्पूर्ण देश तहे-दिल से स्वीकारता है।

किन्तु यदि ये स्वच्छता का अभियान यही रुक गया तो इससे मिलने वाले फायदे नुकसान में बदल जायेंगे। आगे बढ़ना जरुरी है। स्वच्छता के इस अभियान को आगे बढ़ाना है, संपूर्ण देश में इसके प्रति भावना को जगाना है तो सरकार को सबसे पहले खुद सब तरफ पहल करना होगी।  जनता में सरकार के प्रति, राजनैतिक व्यक्तियों के प्रति अच्छी छवि और विश्वास को जगाना होगा।  ऐसे और भी बहुत से कठिन  फैसले लेना होंगे ताकि आम जनता में ये विश्वास जग सके कि जो पैसा हम टैक्स के रूप में देते हैं उसका सदुपयोग होता है।

आज की दशा में आम जनता में राजनैतिक लोगों के प्रति, सरकार को चला रहे अफसर और नुमाइंदो के लिए आक्रोश बहुत दिखाई देता रहता है। वह चुनाव में भी बार बार पार्टियों, व्यक्तियों को बदलती रहती है कि वो शायद उनके लिए अच्छा कार्य करेंगे किन्तु अंततः उनके हाथ निराशा ही लगती है। सभी दल जनता के इस आक्रोश को समझने के बजाए राजनैतिक बयानों और दावपेचों का इस्तेमाल करते हैं।  अंततः जनता मूर्ख साबित होती है।

आज भी सरकार अपने सांसदों, विधायकों को इतना अधिक धन, सुविधाएं, रियायतें आदि देती है, पावर दे देती है कि वो जीतने के बाद अपने आप को किसी राजा से कम नहीं समझता है। वो इन सब को अपना हक़ समझने लगता है और सेवा भाव से काम करने की बजाए ( जिसके लिए वह चुना गया है ) मालिक की तरह हुकूमत करने लग जाता है। उसे बहुत ज्यादा पावरफुल कर दिया गया है,  कल तक  जो हाथ जोड़ वोट मांगता था, वो जीतने के बाद उन्हीं को आँख दिखने लग जाता है। उसी प्रकार सरकारी अफसर, ऊपर से नीचे तक कार्य करने वाले नुमाइंदे भी सेवा और देश हित की बजाये, हुकूमत करने पर उतर आते हैं।

अंततः जब तक सरकार द्वारा ये सभी रिफॉर्म्स नहीं किये जायेंगे तब तक ये बत्ती प्रथा ख़त्म नहीं होगी। सिर्फ एक चीज करने से कुछ नहीं होगा। जब तक सरकार की अपनी छवि में परिवर्तन नहीं आएगा तब तक देश में, देशवासियो में देश के प्रति प्रेम नहीं जग पायेगा, न ही देश सही मायने में आगे बढ़ पायेगा। सरकार की नीयत साफ दिखेगी, भ्रटाचार कम होता दिखेगा, जनता को अपने दिए पैसे का सदुपयोग होता दिखेगा तो टैक्स को पाने के लिए इतने  दंद फंद की जरुरत नहीं पड़ेगी। सरकार को स्वतः, आसानी से, बगैर जोर जबरदस्ती के पैसा उपलब्ध हो जायेगा किन्तु इन सबके लिए सरकार को सभी तरफ अपनी ओर से पहल करना होगी।

जयहिंद

 

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