Friday, September 22nd, 2017 08:25:26
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’मोदी युग’ में प्रवेश के लिए तैयार हो जाएं




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सभी देशवासियों से इल्तज़ा है कृपया मोदी युग में प्रवेश के लिए तैयार हो जाएं। आप सभी ने सतयुग, द्वापर युग, कलयुग के बारे में तो सुना ही होगा। कलयुग अब समाप्ति पर है और नए युग का सूत्रपात हो चुका है इसलिए सभी आम और ख़ास से मेरा निवेदन है कि सभी मानसिक, शारीरिक, आत्मिक रूप से ख़ुद को इस नए ’मोदी युग’ में जाने के लिए तैयार कर लें। इस युग में आने का आभास तो हमें पूर्व में ही लगा लेना था जब संत वाणी ’मन की बात’ के रूप में हमारे कानों तक पहुंच रही थी किंतु हम सभी इसे समझ नहीं पाए। समझ नहीं पाए कि कैसे अच्छे दिन आएंगे।

वैसे जब भी कोई ऐसे नए युग का सूत्रपात होता है या प्रकृति में कोई बड़ा बदलाव आता है तो बड़ी आंधी-तूफान गर्जना होती है, बड़ी उथल-पुथल हो जाती है। ऐसा सब सुना या किताबों में ही पढ़ा था। कभी अपने सामने घटित होते नहीं देखा इसलिए शायद समझ नहीं पाए। यदि हम वर्तमान समय के घटनाक्रमों को देखें तो सहसा वही सब कुछ दिखाई देगा। ख़ुद की पार्टी के कई दिग्गजों जैसे मुरली मनोहर, आडवाणी जी आदि को एक ही झटके में घर बैठा दिया। जिनके नाम से कभी पार्टी पहचानी जाती थी उनकी ही पहचान मिटा दी। पूरे देश में एक ऐसा माहौल बना सभी तरफ मोदी-मोदी ही हो गया। मोदी की आंधी ने गांधी की पूरी कांग्रेस को ही पप्पू बना नेस्तनाबूत कर दिया। जिस पार्टी ने वर्षों देश पर राज किया उसे ही पूरे देश से साफ कर दिया। मोदी की आंधी यहीं नहीं रुकी जिस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी ’आरएसएस’ पर मोदी ने अपना कदम रखा था उसकी पहचान ही ’मोदी’ के नाम की बना दी। पहले घर-घर आरएसएस थी अब वह भी ’हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ हो गया है। यह सब आंधी ही तो थी जो हम पहचान नहीं पाए।

मोदी एक महापुरुष की तरह देश में अवतरित हुए। ’अच्छे दिन आएंगे’ का संदेश लेकर पूरे भारत पर छा गए। अच्छे दिन कब और कैसे आएंगे ये किसी को पता नहीं था, बस एक उम्मीद थी। पता नहीं अच्छे दिन का क्या-क्या मतलब निकाल लिया सबने अपने ढंग से। आकाशवाणी की तर्ज पर टीवी, रेडियो के माध्यम से संत वाणी सुनाई देने लगी। सुनने में अच्छी लग रही थी किंतु समझ नहीं आ रही थी। मोदी जी ने विश्व भ्रमण शुरु कर दिया बग़ैर रुके एक देश से दूसरे देश। शायद ही कोई देश अब बचा हो। ये दौरे भी उनकी आंधी की तरह तूफानी थे। कोई कहता था मोदी जी बाहर से हमारा सारा कालाधन ले आएंगे, सबके खाते में 15-15 लाख रुपए जमा हो जाएंगे जैसा कि चुनावी वादे में था। कोई कहता था भारत को विश्व का विजेता बना देंगे। देश अब मालामाल हो जाएगा। हम सब मिलकर रोज़ दिवाली मनाएंगे। सब अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे किंतु किसे पता उनके मन में क्या चल रहा था। किसी भी महापुरुष को समझ पाना आम जन के बस की बात नहीं है। मन की बात सुन ज़रुर रहे थे फिर भी मन में क्या है समझ नहीं पा रहे थे।

गत कुछ दिनों में बहुत कुछ घटित हुआ। भारत की सर ज़मीं पर बहुत ही तेज़ गति की आंधी चली जिसने पूरे देशवासियों का जीवन ही बदल दिया। सभी को एक लाइन में लाकर खड़ा कर दिया। क्या अमीर तो क्या ग़रीब सब बराबर हो गए। एक नए तरीके के समाजवाद ने जन्म लिया। सभी सोच रहे थे कि मोदी जी सबको अमीर बना देंगे, सभी खुश होंगे, अच्छे दिन आ जाएंगे किंतु मोदी जी ने सभी अमीरों को ही ग़रीब बना दिया। जरूरी नहीं कि खुशियां अमीरी से ही आती है, सुकून तो कतई नहीं आता क्योंकि पैसा तो हमको दौड़ में लगा देता है, चैन से बैठने ही नहीं देता जोकि हम आज महसूस कर रहे हैं। आज न पैसा है और न ही भागमभाग, मन में शांति भी बहुत है। घर के अंदर से महिलाओं के पास जो बरसों से इकट्ठा किया कहा जाने वाला काला धन है वो भी बाहर आ रहा है। जिसे कभी पति नहीं निकाल पाए उसको मोदी जी ने पल में निकाल दिया। हालांकि इसमें उन महिलाओं का ही भला सोचा मोदी जी ने, एक ही बार में उनको सभी झंझटों से मुक्त कर दिया। बहुत टेंशन में रहती थीं सभी। परेशान हो लाइन में वो लोग लगे हैं जिनकी नियति ही ऐसी है। सब उनके पुराने कर्मों का फल है। जब भी धरती पर बड़ा बदलाव आया है कई सभ्यताएं ख़त्म हुई हैं तो कई नस्लें ख़त्म हुई हैं। यहां तो सिर्फ़ कुछ जानें ही गई हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अब ये सब बातें लोग समझ नहीं पा रहे हैं। जरुरी नहीं कि जैसा आम लोग सोचते हैं वैसा ही महापुरुष भी सोचें। ऊपर वाले की माया ऊपर वाला ही जाने। उसके मन की या तो वो ही जानता है या उसके साथ के देवपुरुष।

आरएसएस या भाजपा ये सोचती थी कि उनकी नैया ’राम’ पार लगाएंगे किंतु उन्हें भी ये पता नहीं था कि उनकी नैया को इस युग के महापुरुष श्री मोदी जी पार लगाएंगे। कुछ अच्छा पाने के लिए कोई कुर्बानी तो देनी पड़ेगी ना जबकि यहां तो बहुत कुछ अच्छा होने वाला है। अच्छे दिन आने वाले हैं और मोदी जी की कृपा से अभी तो पैसे की दौड़ ख़त्म-सी हो गई है। न रहा बांस न बजेगी बांसुरी। एकदम आराम, सुकून की ज़िंदगी। सभी अपने परिवार, रिश्तेदार, दोस्तों के साथ समय बिताएं, हंसे-बोलें, खेलें-कूदें, जीवन अनमोल है इसका आनंद उठाएं। इन सबमें पैसे की ज़रूरत नहीं होती। रहा सवाल खाने-पीने का तो वह सब प्रभु पर छोड़ दें। जिसने यह व्यवस्था दी है वो वह भी देगा। जैसे हमारे द्वारा जिताए गए सभी जनप्रतिनिधियों को सरकार एकदम मुफ्त के भाव में दाना-पानी देती है, अरबों रुपए उन पर खर्च करती है कृपा रही तो हमें भी मिल सकता है। ईश्वर चाहे तो सब कुछ हो सकता है। वो जब कृपा बरसाते हैं तो कुछ भी हो सकता है, अरबों-ख़रबों के कर्ज़ भी पल में माफ़ हो सकते हैं इसलिए मेरा सभी आम जन से निवेदन है, बेहतर होगा कि ’मोदी युग’ में प्रवेश के लिए तैयार हो जाएं। कृपा आप पर भी बरस सकती है वरना आप जानें। युग तो आ चुका है। पहले पहल आपको जो करना था आप कर चुके। अब तो उनकी बारी है।

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