पठानकोट अटैक के मास्टमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर पर यूएन से बैन लगवाने की कोशिशों को एक बार फिर झटका लग सकता है। इस बार यूके, यूएस और फ्रांस ने बैन लगाने का प्रपोजल रखा था। चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर प्रपोजल पर तीन महीने का टेक्निकल होल्ड लगा दिया। इससे पहले फरवरी में भी चीन ने अजहर को ग्लोबल आतंकवादियों की लिस्ट में मसूद का नाम शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। उस वक्त के फॉरेन सेक्रेटरी एस. जयशंकर ने कहा था कि इंटरनेशनल लेवल पर कई देश मसूद पर बैन लगाने के फेवर में हैं। सिर्फ चीन राजी नहीं है, इसलिए इस पर आम राय नहीं बन पा रही है।
चीन बार-बार डालता है अड़ंगा
चीन यूनाइटेड नेशन्स (यूएन) में मसूद अजहर पर बैन लगाने के प्रपोजल को बार-बार अटका देता है। चीन हर बार अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल कर यूएन की 1267 कमेटी में अजहर के खिलाफ प्रपोजल को टेक्निकल होल्ड पर डाल देता है। बता दें कि अजहर मसूद को आतंकियों के लिए लिस्ट में डाला जाता है तो यह भारत के लिए कामयाबी होगी। वह खुलेआम पाकिस्तान में रैलियां नहीं कर सकेगा। एक देश से दूसरे देश की आवाजाही पर रोक होगी। बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद पर पहले से ही बैन लगा है।
क्या है 1267 कमेटी?
आतंकियों और आतंकी संगठनों पर बैन लगाने का फैसला यूएनएससी की 1267 कमेटी ही करती है। अक्टूबर 1999 में यूएन सिक्युरिटी काउंसिल ने 1267 रेजोल्यू्शन पास किया था। इसी के तहत ओसामा बिन लादेन को आतंकी घोषित करने के बाद उस पर और उसके संगठन अल कायदा पर बैन लगाया गया था।
फरवरी में भी चीन ने किया था वीटो का इस्तेमाल
फरवरी में अमेरिका ने मसूद अजहर पर बैन लगाने के लिए न्छ में अर्जी दी थी। इस पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए बैन के प्रपोजल पर 2 अगस्त तक यानी 6 महीने का टेक्निकल होल्ड रख दिया था। इस बार भी चीन ऐसा ही किया। यदि चीन टेक्निकल होल्ड को नहीं बढ़ाता तो यूएन के नियमों के मुताबिक अजहर स्वतः ही आतंकवादी घोषित हो जाता। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, डेडलाइन निकलने के पहले चीन ने फिर तीन महीने के लिए यानी 2 नवंबर तक प्रपोजल को टेक्निकल होल्ड पर रख दिया।
चीन ने फरवरी में कहा था- “मसूद अजहर को यूएन की लिस्ट में शामिल करने के लिए रखी गई शर्तों पर अमल होना अभी बाकी है। बीजिंग को अपना फैसला बदलने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है। चीन अजहर को इंटरनेशनल टेररिस्ट घोषित करने के रास्ते पर तभी आगे बढ़ेगा जब इस मामले से जुड़े सभी पक्षों में रजामंदी बन जाए।“